श्राद्ध में विशेष रूप से खीर क्यों बनाई जाती है, ब्राह्मणों को भोजन क्यों करवाया जाता है?

हिंदू धर्म (Hinduism) में श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) का विशेष महत्व है। इस बार श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक हैं। इस दौरान पितृों की स्मृति में तर्पण, पिंडदान आदि किया जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2021 2:00 PM IST

उज्जैन. श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है जैसे श्राद्ध में ब्राह्मणों को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। इस दिन खीर भी विशेष रूप से बनाई जाती है। इन परंपराओं से जुड़े कई धार्मिक व मनोवैज्ञानिक पक्ष हैं। 

ब्राह्मण भोजन क्यों जरूरी?
ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोजन करवाए बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्राह्मणों के साथ वायु रूप में पितृ भी भोजन करते हैं। ब्राह्मणों द्वारा किया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है। इसलिए विद्वान ब्राह्मणों को पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ भोजन कराने पर पितृ भी तृप्त होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। भोजन करवाने के बाद ब्राह्मणों को घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितृ भी चलते हैं। इस परंपरा से जुड़ा मनोवैज्ञानिक पक्ष ये है कि सभी लोग अपने पितरों की प्रसन्नता चाहते हैं, इसलिए इस परंपरा का पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। समय के साथ ये श्राद्ध का जरूरी अंग बन गया है।

क्यों बनाते हैं खीर?
मिठाई के साथ भोजन करने पर अतिथि को पूर्ण तृप्ति का अनुभव होता है। इसी भावना के साथ श्राद्ध में भी पितरों की पूर्ण तृप्ति के लिए खीर बनाई जाती है। इसका मनोवैज्ञानिक भाव यह भी है कि श्राद्ध के भोजन में खीर बनाकर हम अपने पितरों के प्रति आदर-सत्कार प्रदर्शित करते हैं। श्राद्ध में खीर बनाने के पीछे एक पक्ष यह भी है कि श्राद्ध पक्ष से पहले का समय बारिश का होता है। पहले के समय में लोग बारिश के कारण अधिकांश समय घरों में ही व्रत-उपवास करके बिताते थे। अत्यधिक व्रत-उपवास के कारण शरीर कमजोर हो जाता था। इसलिए श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों तक खीर-पूड़ी खाकर व्रती अपने आप को पुष्ट करते थे। इसलिए श्राद्ध में खीर बनाने की परंपरा है।

श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें 

माता के श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है ये तीर्थ स्थान, यहां स्थित पीपल को कहते हैं मोक्ष पीपल

किन ग्रहों के कारण कुंडली में बनता है पितृ दोष, इससे क्या परेशानियां होती हैं? जानिए इसके उपाय 

उज्जैन के सिद्धनाथ घाट पर ऑनलाइन भी हो रहा पिंडदान, यहां स्थित वट वृक्ष को देवी पार्वती ने लगाया था

विवाहित महिला या दुर्घटना में मृत परिजन की मृत्यु तिथि पता न हो तो इस दिन करें श्राद्ध

श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है गया तीर्थ, यहां बालू के पिंड बनाकर करते हैं पिंडदान, क्या है इसका कारण?

6 अक्टूबर को गज छाया योग में करें पितरों का श्राद्ध, उन्हें मिलेगी मुक्ति और आपको सुख-समृद्धि

Share this article
click me!