1 नहीं 12 प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानिए किस समय और उद्देश्य से कौन-सा श्राद्ध किया जाता है

शास्त्रों में समस्त जनमानस के लिए तीन ऋणों का मुख्यतः उल्लेख किया जाता है। देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण। इनमें से श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण से मुक्ति का निर्देश दिया गया है। इसके लिए भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक का समय निश्चित है।

उज्जैन. श्राद्ध पक्ष में 16 दिनों तक रोज पितृों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और दान आदि किया जाता है। देश, काल, परिस्थिति को ध्यान में रखकर कहीं भी श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) हो सकता है। इस बारे में ब्रह्म पुराण के साथ ही महर्षि पराशर कहते हैं कि पितरों के उद्देश्य से जो ब्राह्मणों को दिया जाए वही श्राद्ध है। श्राद्ध को तीन भागों में बांटा गया है, नित्य, नैमित्तिक, काम्य लेकिन भविष्यपुराण में 12 तरह के श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) बताए गए हैं। आगे जानिए इन श्राद्धों के बारे में…

नित्य श्राद्ध 
कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा, पुष्प व फल से प्रतिदिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकता है।

नैमित्तक श्राद्ध
यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है। जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है। इसमें विश्वदेवा की पूजा नहीं की जाती है, केवल मात्र एक पिण्डदान दिया जाता है।

Latest Videos

काम्य श्राद्ध
किसी कामना विशेष के लिए यह श्राद्ध किया जाता है। जैसे- पुत्र की प्राप्ति आदि।

वृद्धि श्राद्ध
यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है।

सपिंडन श्राद्ध
मृत व्यक्ति के 12 वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इसे स्त्रियां भी कर सकती हैं।

पार्वण श्राद्ध 
पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, व सपत्नीक के निमित्त किया जाता है। इसमें दो विश्वदेवा की पूजा होती है।

गोष्ठी श्राद्ध
यह परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है।

कर्मागं श्राद्ध
यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है।

शुद्धयर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।

तीर्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है।

यात्रार्थ श्राद्ध
यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है।

पुष्टयर्थ श्राद्ध 
शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है।

श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें 

मातृ नवमी 30 सितंबर को: करें विवाहित मृत महिलाओं का श्राद्ध और ये आसान उपाय, दूर होंगी परेशानियां

श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है हरिद्वार की नारायणी शिला, यहां पूजा करने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति

श्राद्ध में विशेष रूप से खीर क्यों बनाई जाती है, ब्राह्मणों को भोजन क्यों करवाया जाता है?

माता के श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है ये तीर्थ स्थान, यहां स्थित पीपल को कहते हैं मोक्ष पीपल

किन ग्रहों के कारण कुंडली में बनता है पितृ दोष, इससे क्या परेशानियां होती हैं? जानिए इसके उपाय 

उज्जैन के सिद्धनाथ घाट पर ऑनलाइन भी हो रहा पिंडदान, यहां स्थित वट वृक्ष को देवी पार्वती ने लगाया था

 

Share this article
click me!

Latest Videos

Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
अब क्या करेगा भारत... बांग्लादेश सरकार ने कहा- शेख हसीना को भेजिए वापस, बताई ये वजह
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Delhi Election से पहले BJP ने जारी की Arvind Kejriwal के खिलाफ चार्जशीट