उज्जैन के सिद्धनाथ घाट पर ऑनलाइन भी हो रहा पिंडदान, यहां स्थित वट वृक्ष को देवी पार्वती ने लगाया था

उज्जैन (Ujjain) को मध्य प्रदेश (Madhay Pradesh) की धार्मिक राजधानी कहा जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने अंदर रहस्यों को समेटे हुए हैं। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल है तो सिद्धपीठ हरसिद्धि भी है। यहां सप्तसागर हैं तो नव नारायण के मंदिर भी हैं।

उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे भैरुगढ़ क्षेत्र में स्थित सिद्धनाथ पर श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) के लिए भी दूर-दूर से श्रृद्धालु आते हैं। पितृ पक्ष में तो यहां लोगों को हुजूम उमड़ता है। यहां श्राद्ध कर्म करवाने पंडितों के पास 500 सालों से ज्यादा पुराना रिकार्ड भी मिल जाता है।

पोथी पर लिखा है 500 साल पुराना रिकॉर्ड
यहां के पंडित राजेश त्रिवेदी के अनुसार, पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध (Shraddha Paksha 2021) की विधि में कुल के नाम के साथ पूर्वजों के नाम का उल्लेख का विशेष महत्व है। आम लोगों के कई पीढ़ी और पूर्वजों के नाम याद रखना आसान नहीं होता है। इसमें तीर्थ पुरोहितों के पास उपलब्ध पोथी सहायक होती है। उज्जैन के अधिकांश तीर्थ पुरोहितों के पास पूर्व के अनेक परिवार के पूर्वजों के नामों की पोथी बनी हुई है। यहां 400 से 500 साल पुराने पूर्वजों के रिकॉर्ड भी उपलब्ध हैं। कोरोना गाइडलाइन के चलते कई श्रद्धालु उज्जैन नहीं आ पा रहे हैं। उनके लिए पंडितों ने ऑनलाइन पूजा-पाठ और तर्पण की व्यवस्था की है।

इस पेड़ को पार्वतीजी ने लगाया था (Shraddha Paksha 2021)
सिद्धनाथ पर एक विशाल बरगद का पेड़ है। इसे सिद्धवट कहा जाता है। प्रयाग और गया में जिस तरह अक्षयवट का महत्व माना जाता है उसी प्रकार उज्जैन में सिद्धवट है। मान्यता है इस पेड़ को स्वयं माता पार्वती ने लगाया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का मुंडन भी हुआ था। स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में भी इस तीर्थ का वर्णन मिलता है। मुगलों ने इस तीर्थ को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। मुगल शासकों ने इस वटवृक्ष को कटवाकर उसके ऊपर लोहे के तवे जड़वा दिए, लेकिन वटवृक्ष उन लोहे के तवों को फोड़कर पुन: हरा-भरा हो गया।

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कैसे पहुचें?
- भोपाल-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित उज्जैन एक पवित्र धार्मिक नगरी है। ट्रेन के माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- उज्जैन का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो यहां से 55 किलोमीटर दूर है। इंदौर से उज्जैन जाने के लिए बसें भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
- मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से भी सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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