प्रयाग को कहते हैं मुक्ति का द्वार, यहां पिंडदान करने से पितरों को मिलता है मोक्ष

पितरों की आत्मा की शांति के लिए हमारे देश में कई प्रमुख स्थानों पर श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है। श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) में तो ऐसे स्थानों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पितरों के तर्पण के लिए प्रसिद्ध स्थान है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का प्रयाग (Prayag)।

Asianet News Hindi | Published : Oct 2, 2021 2:46 PM IST

उज्जैन. प्रयाग (Prayag) देश के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। धर्म ग्रंथों में प्रयाग को तीर्थराज की संज्ञान दी गई है। यहां पिंडदान से जुड़ी कई विशेष परंपराएं भी हैं। यहां पिंडदान से पहले केश दान यानी मुंडन किया जाता है। आगे जानिए इस स्थान से जुड़ी खास बातें…

प्रयाग में 12 रूपों में विराजमान है भगवान विष्णु
- धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु को मोक्ष अर्थात मुक्ति के देवता माना जाता है। प्रयाग में भगवान विष्णु बारह भिन्न रूपों में विराजमान हैं। माना जाता है कि त्रिवेणी में भगवान विष्णु बाल मुकुंद स्वरूप में वास करते हैं।
- प्रयाग (Prayag) को पितृ मुक्ति का पहला और सबसे मुख्य द्वार माना जाता है। काशी को मध्य और गया को अंतिम द्वार कहा जाता है। प्रयाग में श्राद्ध कर्म का आरंभ मुंडन संस्कार से होता है। 
- उसके बाद तिल, जौ और आटे से 17 पिंड बनाकर विधि विधान के साथ उनका पूजन करके उन्हें गंगा में विसर्जित करने और संगम में स्नान कर जल का तर्पण किए जाने की परंपरा है।
- त्रिवेणी संगम में पिंडदान करने से भगवान विष्णु के साथ ही प्रयाग में वास करने वाले 33 करोड़ देवी-देवता भी पितरों को मोक्ष प्रदान करते हैं।

श्राद्ध के पहले पहले मुंडन क्यों?
- हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी पाप और दुष्कर्म की शुरुआत केश यानी बाल से होती है। इसलिए कोई भी धार्मिक कृत्य करने से पहले मुंडन कराया जाता है।
- खासतौर से प्रयाग क्षेत्र में मुंडन कराने का विशेष महत्व है। प्रयाग क्षेत्र में एक केश यानी बाल का गिरना 100 गायों के दान के बराबर पुण्यलाभ देता है।
- धर्मशास्त्रों में कहा गया है, काशी में शरीर का त्याग कुरुक्षेत्र में दान और गया में पिंडदान का महत्व प्रयाग में मुंडन संस्कार कराए बिना अधूरा रह जाता है। प्रयाग क्षेत्र में मुंडन कराने से सारे मानसिक शारीरिक और वाचिक पाप नष्ट हो जाते हैं।
- प्रयाग (Prayag) क्षेत्र मैं वैदिक मंत्रों के मध्य मुंडन तर्पण और पिंडदान करने से किसी भी मनुष्य के 3 पीढ़ियों के पुरखों को निमंत्रण पहुंच जाता है और यह निमंत्रण उन्हें गया धाम चलने के लिए होता है।
- लोगों को 3 पीढ़ियों के पूर्व सभी पुरखों का नाम याद करने में दिक्कत होती है, इसलिए प्रयाग क्षेत्र में सामुहिक रूप से आवाहन करके उन्हें निमंत्रित किया जाता है।

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