Vidur Niti: ध्यान रखेंगे इन 10 बातों को तो कभी असफल और परेशान नहीं होंगे

महाभारत में शांति के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद कौरव और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने वाला था। युद्ध के परिणाम को लेकर धृतराष्ट्र बहुत परेशान थे। तब उन्होंने अपने सलाहकार विदुर (Vidur Niti) को बुलाया और उनसे अच्छे-बुरे कर्मों का रहस्य पूछा था।

Contributor Asianet | Published : Nov 18, 2021 4:33 PM IST

उज्जैन. महाभारत में धृतराष्ट्र और विदुर के संवाद को ही विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। महात्मा विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। इन्हें यमराज का अवतार भी कहा जाता है। इन्होंने सदैव धर्म का पक्ष लिया और समय-समय पर कौरवों को समझाया भी, लेकिन इनकी बात किसी ने नहीं मानी। परिणामस्वरूप कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच भीषण संग्राम हुआ। आज हम आपको महात्मा विदुर (Vidur Niti) की कुछ ऐसी नीतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे हमारी सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं...

1. व्यक्ति गलत काम अकेले करता है, लेकिन उसका आनंद बहुत से लोग उठाते हैं। आनंद उठाने वाले तो बच जाते हैं, लेकिन अधर्म करने वाला ही पाप का भागी होता है।
2. क्रोध, लालच और कामभावना, ये तीनों आत्मा का नाश करने वाले नर्क के 3 द्वार हैं। इन तीनों का जल्दी ही त्याग कर देना चाहिए।
3. जो लोग सफलता और मान-सम्मान चाहते हैं, उन्हें नींद, डर, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता, इन बुराइयों को छोड़ देना चाहिए। दीर्घ सूत्रता यानी जो काम जल्दी हो सकते हैं, उनमें भी देरी करना।
4. ईर्ष्या करने वाले, असंतुष्ट रहने वाले, क्रोध करने वाले, सदा शंका करने वाले और दूसरों के भाग्य पर जीने वाले, ये लोग हमेशा दुखी रहते हैं।
5. जो व्यक्ति मुसीबत आने पर दुखी नहीं होता है बल्कि सावधानी के साथ आगे बढ़ता है। कर्म करता है और दुखों को सह लेता है, उसे शत्रु पराजित नहीं कर सकते।
6. जो लोग भरोसेमंद नहीं हैं, उन पर विश्वास न करें, लेकिन जो लोग विश्वसनीय हैं, उन पर भी बहुत ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।
7. कुल पांच सुख प्रमुख रूप से बताए गए हैं - धन लाभ, अच्छा स्वास्थ्य, आज्ञाकारी संतान, श्रेष्ठ जीवन साथी और इच्छाएं पूरी करने वाली विद्या। ये 5 जिनके पास हैं, वे सुखी होते हैं।
8. क्षमा को दोष नहीं मानना चाहिए, क्षमा बहुत शक्तिशाली होती है। क्षमा कमजोर लोगों का गुण है और शक्तिशाली लोगों के लिए आभूषण के समान है।
9. काम, क्रोध और लोभ, ये तीन प्रकार के नर्क हैं, यानी दुखों की ओर ले जाने वाले मार्ग हैं। इसलिए इनसे हमेशा बचना चाहिए।
10. ईर्ष्या करने वाला, दूसरों से जलने वाला, असंतुष्ट रहने वाला, क्रोध करने वाला, शंका करने वाला और दूसरों पर आश्रित रहने वाला व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है।

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