सार

वैसे तो हिंदू धर्म में चार वेदों की ही मान्यता है, लेकिन कुछ विद्वानों में महाभारत को पांचवे वेद की संज्ञा दी है। महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिसे यदि सही से समझा जाए तो यह जीवन में बड़ी सीख देता है। महाभारत में महात्मा विदुर (Vidur Niti) ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी। वे कुशाग्र बुद्धि के होने के साथ अत्यंत दूरदर्शी थे।
 

उज्जैन. आचार्य चाणक्य अत्यंत गुणी होने पर भी उनका स्वभाव अत्यंत सरल और शांत था। विदुर की शिक्षाएं आज के समय में भी मनुष्य के जीवन में बहुत मायने रखती हैं। विदुर नीति (Vidur Niti) में एक श्लोक के द्वारा मनुष्य के स्वभाव से जुड़े 6 दोष बताए गए हैं। यदि जिस मनुष्य में ये 6 दोष होते हैं वह हर सुख प्राप्त करने के पश्चात भी हर समय अंदर से दुखी रहता है। आगे जानिए मनुष्य के इन 6 दोषों के बारे में...

ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।।

अर्थात- ईर्ष्या, घृणा, क्रोधी, असंतोष, दूसरों पर शक करना, दूसरों पर आश्रित रहने वाला, जिस मनुष्य में ये छह दोष होते हैं वह सुख भोगकर भी सुखी नहीं रह पाता है।

ईर्ष्या करने वाला
जिस व्यक्ति का स्वाभाव ईर्ष्यालु होता है वह कभी सुखी नहीं रह पाता है। अपने इस दोष के कारण वह सदैव दूसरों के सुख को देखकर मन ही मन में ईर्ष्या करता रहता है, जिसके कारण वह जीवन में मिलने वाले सुखों को भी सही प्रकार से नहीं भोगता है और हमेशा दूसरों को देखकर दुखी होता रहता है। यदि सही मायनों में सुख की प्राप्ति करनी हो तो कभी भी दूसरों के प्रति अपने मन में ईर्ष्या की भावना नहीं लानी चाहिए।

घृणा भाव रखने वाला
जो लोग अपने मन में घृणा का भाव रखते हैं, वे हमेशा दुखी रहते हैं। घृणा का भाव होने के कारण ऐसे व्यक्ति दूसरों से संबंध नहीं रखते हैं, जिसके कारण अकेले रह जाते हैं और हमेशा दुखी होते रहते हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस भाव में मन से निकाल देना चाहिए। तभी आप सभी दुखों का उपयोग कर सकते हैं।

क्रोधी व्यक्ति
अत्यधिक क्रोध करने वाला व्यक्ति भी हमेशा दुखी ही रहता है। जो लोग जरा सी बात पर क्रोध करने लगते हैं, वे गलत-सही की पहचान नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण वे अपना ही अहित कर बैठते हैं या क्रोध में आकर दूसरों को ऐसा दुख पहुंचा देते हैं जिसके लिए बाद में पछतावे के कारण दुखी होते रहते हैं।

असंतुष्ट व्यक्ति
संतुष्टता की भावना ही व्यक्ति को अंदर से सुख प्रदान करती है, लेकिन कुछ लोगों का स्वाभाव होता है कि चाहे कितना भी आनंद हो परंतु उनके मन में अंसतोष हमेशा की भावना बनी रहती है। इसी असंतुष्टता के कारण वे दूसरों की खुशी को देखकर दुखी होने लगते हैं, क्योंकि असंतुष्टता से ही ईर्ष्या की भावना का जन्म होने लगता है।

शक करने वाला व्यक्ति
शक करने वाले स्वभाव का व्यक्ति कभी भी खुश नहीं रहता पाता है। ऐसे लोग किसी पर विश्वास नहीं कर पाते हैं और बिना किसी ठोस वजह से ही किसी पर भी शक करने लगते हैं। इसी स्वाभाव के चलते लोग अपने रश्तों में भी दरार डाल लेते हैं, जिसके कारण वे हमेशा दुखी रहते हैं।

हर समय दूसरों पर आश्रित रहने वाला
कुछ लोग किसी कारणवश मजबूरी के चलते भी दूसरों पर आश्रित रहते हैं परंतु कुछ लोग स्वभाववश दूसरों पर आश्रित रहने लगते हैं। अपने इसी स्वभाव के कारण ऐसे लोग आलोचना और हंसी का पात्र बनते हैं, जिसके कारण वे हमेशा दुखी रहते हैं। समय रहते अपने पैरों पर खड़ा हो चाहिए, तभी जीवन में सफलता और मान-सम्मान मिल पाता है।

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