अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु महाभारत के पात्रों में से एक है। जब कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडवों की सेनाएं आमने-सामने थी, उस समय युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए गुरु द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की थी।
उज्जैन. चक्रव्यूह को सिर्फ अर्जुन ही भेद सकता है। उस समय अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से कहा कि- मैं चक्रव्यूह का प्रथम द्वार भेदकर उसमें प्रवेश करूंगा, मेरे पीछे-पीछे आप सब भी उसमें प्रवेश कर जाना। अभिमन्यु ने ऐसा ही किया, लेकिन जयद्रथ के कारण भीम सहित अन्य पांडव चक्रव्यूह में प्रवेश नहीं कर पाए। जयद्रथ ने अकेले कैसे युधिष्ठिर, भीम, नकुल और सहदेव को पराजित किया। इससे जुड़ा एक प्रसंग है, जो इस प्रकार है…
कौन था जयद्रथ?
जयद्रथ सिंधु देश का राजा था। उसका विवाह कौरवों की बहन दु:शला से हुआ था। महाभारत के अनुसार, जब पांडव 12 वर्ष के वनवास पर थे, तब एक दिन राजा जयद्रथ उसी जंगल में गुजरा, जहां पांडव रह रहे थे। उस समय आश्रम में द्रौपदी को अकेला देख जयद्रथ ने उसका हरण कर लिया। जब पांडवों को यह बात पता चली तो उन्होंने पीछा कर जयद्रथ को पकड़ लिया।
भीम जयद्रथ का वध करना चाहते थे, लेकिन कौरवों की बहन दु:शला का पति होने के कारण अर्जुन ने उन्हें रोक दिया। गुस्से में आकर भीम ने जयद्रथ के बाल मूंडकर पांच चोटियां रख दी। जयद्रथ की ऐसी हालत देखकर युधिष्ठिर को उस पर दया आ गई और उन्होंने जयद्रथ को मुक्त कर दिया।
जयद्रथ ने लिया था महादेव से वरदान
पांडवों से पराजित होकर जयद्रथ अपने राज्य नहीं गया। अपने अपमान का बदला लेने के लिए वह हरिद्वार जाकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या करने लगा। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने के लिए कहा। जयद्रथ ने भगवान शिव से युद्ध में पांडवों को जीतने का वरदान मांगा।
तब भगवान शिव ने जयद्रथ से कहा कि- पांडवों से जीतना या उन्हें मारना किसी के भी बस में नहीं है। लेकिन युद्ध में केवल एक दिन तुम अर्जुन को छोड़ शेष चार पांडवों को युद्ध में पीछे हटा सकते हो। इस वरदान के बल पर जयद्रथ ने पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया और अभिमन्यु की मृत्यु हो गई।
श्रीकृष्ण ने माया से उत्पन्न कर दिया अंधकार
अर्जुन को जब पता चला कि अभिमन्यु की मृत्यु का कारण जयद्रथ है तो उन्होंने प्रतिज्ञा की कि- कल निश्चय ही मैं जयद्रथ का वध कर डालूंगा या स्वयं अग्नि समाधि ले लूंगा। जयद्रथ की रक्षा के लिए गुरु द्रोणाचार्य ने अगले दिन चक्र शकटव्यूह की रचना की। शाम तक युद्ध करने के बाद भी अर्जुन जयद्रथ तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि उसकी रक्षा कर्ण, अश्वत्थामा, भूरिश्रवा, शल्य आदि महारथी कर रहे थे
जब भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि सूर्य अस्त होने वाला है तब उन्होंने अपनी माया से सूर्य को ढ़कने के लिए अंधकार उत्पन्न कर दिया। सभी को लगा कि सूर्य अस्त हो गया है। यह देखकर जयद्रथ व उसके रक्षक असावधान हो गए। अवसर मिलते ही अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया।
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