बीमारी और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए 20 मई को करें देवी अपराजिता की पूजा

वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 19 मई, बुधवार को शुरू होगी और अगले दिन यानी 20 मई, गुरुवार तक रहेगी। देवी पुराण में बताया गया है कि इस तिथि पर अपराजिता रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां और बीमारियां दूर होती हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 19, 2021 3:32 AM IST / Updated: May 19 2021, 10:20 AM IST

उज्जैन. वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 19 मई, बुधवार को शुरू होगी और अगले दिन यानी 20 मई, गुरुवार तक रहेगी। देवी पुराण में बताया गया है कि इस तिथि पर अपराजिता रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां और बीमारियां दूर होती हैं। अष्टमी तिथि 2 दिन होने से ये व्रत बुधवार तो कुछ जगह गुरुवार को भी किया जाएगा।

अष्टमी तिथि 19 और 20 मई को
वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार को दोपहर लगभग 1 बजे शुरू होगी। इसके बाद गुरुवार को दोपहर में अष्टमी तिथि खत्म होगी। 20 मई को सूर्योदय से करीब आधे दिन तक अष्टमी तिथि होने से इस दिन ही व्रत और पूजा की जानी चाहिए।

अष्टमी तिथि शुरू: 19 मई, गुरुवार दोपहर 1 बजे से
अष्टमी तिथि खत्म: 20 मई, शुक्रवार दोपहर 12.30 पर

कपूर के जल से करें देवी अपराजिता का अभिषेक
हर महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी व्रत करने का विधान है। इस बार 19 और 20 मई को वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री दुर्गाष्टमी का व्रत किया जायेगा। ग्रंथों में वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के अपराजिता रूप की प्रतिमा को कपूर और जटामासी युक्त जल से स्नान कराने का महत्व है।

बगलामुखी प्राकट्य दिवस
वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी बगलामुखी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से माना जाता है। मां बगलामुखी को शत्रुनाश की देवी भी कहा जाता है। इनकी नजरों से कोई शत्रु नहीं बच सकता। अतः मां बगलामुखी की पूजा शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिये, किसी को अपने वश में करने के लिये और अपने कार्यों में जीत हासिल करने के लिये, खासकर कि कोर्ट-कचहरी से संबंधित कार्यों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये रामबाण है।

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