
Automobile Desk: भारत में हर साल सड़क दुर्घटना में लाखों लोगों की जान जाती हैं। हाइवे पर खासकर ज्यादातर मामले देखने को मिलते हैं। इसी को देखते हुए ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अब गाड़ियों में एडवांस फीचर्स लगाने शुरू कर दिए हैं। पहले के मुकाबले अब सड़क पर दौड़ रही गाड़ियों में ज्यादा सेफ्टी फीचर्स मिलते हैं। आपको एयरबैग्स से लेकर ABS (Antilock Breaking System) +EBD (Electronic Brake Force Distribution) मिलते हैं। कई लोगों को इसके बारे में अच्छे से पता नहीं होता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ABS के साथ EBD कैसे काम करता है।
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) का काम गाड़ी (4 व्हीलर या बाइक) को कंट्रोल करना है। यह सेफ्टी फीचर सड़क दुर्घटना से हमें बचाती है। अगर आप 60 km/h की गति से राइड कर रहे हों और अचानक से इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ जाए, तो उस स्थिति में यह सिस्टम गाड़ी की टायर की ग्रिपिंग को मजबूत रखता है। इससे बाइक पर आपका कंट्रोल रहेगा। वहीं, बिना ABS फीचर वाली बाइक को फिसलने का डर रहता है।
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सड़क पर फिसलन की स्थिति होने पर एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम स्किडिंग और लॉकअप रोकता है। इसका यूज करना नियमित ब्रेक के यूज से काफी अलग होता है। अगर आप गाड़ी ड्राइव करते समय STOP साइन, रेड लाइट या सामने वाले वाहनों की स्लो गति के हिसाब से ब्रेक लगा रहे हैं, तो उस स्थिति में यह सिस्टम एक्टिव नहीं होगा। किसी भी क्षण इमरजेंसी ब्रेक लगाने की आवश्यकता पड़ जाए, तो यह एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम ABS एक्टिव हो जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक ब्रेक फोर्स यानी EBD का काम रोड के हालात और स्पीड के हिसाब से अलग-अलग पहियों को इंडिविजुअली ब्रेक फोर्स प्रदान करना है। गाड़ी चलाते समय जब आप ब्रेक लेते हैं, तो आगे की ओर वह झुक जाती है और जब मोड़ पर गाड़ी को टर्न करते हैं तब गाड़ी का वेट और उसके ऊपर सवार लोगों का भार एक ओर रहता है। इस स्थिति में बिना EBD वाले गाड़ियों को स्किड होने का डर रहता है। लेकिन, EBD सिस्टम होने पर रोड और गति के हिसाब से फोर्स मिलता है। ऐसे में फिसलने का डर नहीं होता है।
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