5 करोड़ से ज्यादा कीमत लेकिन नहीं होती Rolls Royce की कारों की क्रैश टेस्टिंग, आखिर क्यों

Global NCAP जैसी कुछ नॉन प्रॉफिटेबल संस्थाएं हैं, जो कारों की अलग से क्रैश टेस्टिंग करती हैं। क्रैश टेस्टिंग के दौरान कार को हरसंभव क्रैश किया जाता है। इसके बाद इसे स्टार रेटिंग दी जाती है। लेकिन रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं की जाती है।

ऑटो डेस्क : आए दिन रोड एक्सीडेंट्स की कई खबरें हमें सुनने को मिलती हैं। इसी को देखते हुए सेफ कारों की डिमांड बढ़ गई है। सेफ्टी रेटिंग के हिसाब से लोग कार खरीदना पसंद कर रहे हैं। आज दुनियाभर में कई ऐसी संस्थाएं हैं जो कारों के क्रैश टेस्टिंग कर उन्हें सेफ्टी रेटिंग देती हैं। कारें कितनी सेफ हैं, इस पर उन्हें 1 से लेकर 5 स्टार तक रेटिंग दी जाती है। Global NCAP की सेफ्टी रेटिंग दुनियाभर में मान्य है। लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे महंगी लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी रोल्स रॉयस (Rolls Royce) अपने कारों की क्रैश टेस्टिंग (crash testing) नहीं करती है। आइए जानते हैं क्यों..

5 करोड़ से ज्यादा कीमत लेकिन क्रैश टेस्टिंग नहीं

Latest Videos

रोल्स-रॉयस के कार की कीमत की बात करें तो इसकी कार दुनिया में सबसे महंगी कारों में आती है। कार की कीमत की शुरुआत ही 5 करोड़ से होती है। दुनिया में कुछ ही लोग, जिनके पास पैसा है, इस कंपनी की कार खरीद पाते हैं। लेकिन ऐसे में जब दुनियाभर में सभी कार कंपनियां क्रैश टेस्टिंग कराती हैं तो रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग क्यों नहीं होती, यह बड़ा सवाल है।

क्रैश टेस्ट आखिर होता क्या है

जब भी कोई कार कंपनी नई कार बनाती है तो वह कितनी सुरक्षित है, इसके लिए अपने हिसाब से क्रैश टेस्टिंग कराती है। Global NCAP जैसी कुछ नॉन प्रॉफिटेबल संस्थाएं कारों की अलग से टेस्टिंग भी करती हैं। टेस्टिंग के दौरान कार को हरसंभव तरीके से क्रैश किया जाता है और फिर इसको स्टार रेटिंग दी जाती है। रोल्स रॉयस कारों की क्रैश टेस्टिंग नहीं होती है। अगर आपने कोई वीडियो देखा हो तो बता दें कि वह या तो एनिमेडेट होगा या फिर फेक।

रोल्स रॉयल क्यों नहीं करती अपने कारों की क्रैश टेस्टिंग

दरअसल, दुनिया की सबसे महंगी कार कंपनी रोल्स रॉयल अपनी कारों को कस्टमाइज तरीके से बनाती है। कार खरीदने वाले शख्स का पूरा डेटा कंपनी अपने पास रखती है। बता दें कि जब भी किसी कार की क्रैश टेस्टिंग की जाती है, तब इसके लिए 4 से 5 कारों की आवश्यकता पड़ती है। अब जो भी संस्थाएं क्रैश टेस्ट करती हैं, उन्हें खुद कार खरीदनी होती है, न कि कंपनी उन्हें देती है। ऐसी स्थिति में रोल्स रॉयस की कारों की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि इन्हें खरीदकर क्रैश टेस्ट कराना नामुमकिन है। क्योंकि क्रैश टेस्ट के बाद कार इस्तेमाल करने लायक ही नहीं बचती है। इसी वजह से रोल्स रॉयस की कारों की क्रैश टेस्टिंग कभी भी नहीं होती है।

इसे भी पढ़ें

जब कोई अचानक से ठोक दे आपकी कार, लड़ाई-झगड़े से नहीं इस तरह होगी नुकसान की भरपाई

 

नुकसान से बचाएगी कार की सही बीमा पॉलिसी, इन 6 बातों का हमेशा रखें ध्यान

 

 

Share this article
click me!

Latest Videos

Om Prakash Chautala Death: नहीं रहे पूर्व CM ओम प्रकाश चौटाला , 5 बार संभाली हरियाणा की कमान
नोटिस या पूछताछ... आखिर संसद धक्का कांड में Rahul Gandhi पर क्या एक्शन लेगी दिल्ली पुलिस?
जयपुर में CNG टैंकर में धमाका और लगी आग, 35 गाड़ियां स्वाहा । Jaipur Fire News । Rajasthan News
कुवैत के लिए रवाना हुए मोदी, 43 साल के बाद पहली बार यहां जा रहे भारतीय PM
LIVE 🔴: "भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर चर्चा