क्यों टाटा की इन कारों को मिला 5 स्टार रेटिंग, जानिए इसका क्या मतलब है

Published : Dec 21, 2023, 11:12 AM IST
car crash test

सार

Bharat NCAP या BNCAP क्रैश टेस्ट में कार को एडल्ट ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन, चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन और सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजीस के आधार पर सेफ्टी रेटिंग दी जाती है। इसी बेस पर तय किया जाता है कि कार कितनी सेफ है।

ऑटो डेस्क : भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP) के पहले क्रैश टेस्ट के नतीजे आ गए हैं। इसमें टाटा हैरियर (Tata Harrier) और सफारी (Tata Safari) दोनों को 5-स्टार रेटिंग मिली है। 15 दिसंबर से दोनों कारों का क्रैश टेस्ट भारतीय एजेंसी कर रही थी। टाटा की हैरियर और सफारी दोनों ने एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP) के लिए 32 में से 30.08 पॉइंट और चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP) में 49 में से 44.54 पॉइंट हासिल किए हैं। वहीं, एसयूवी ने साइड मूवेबल डिफॉर्मेबल बैरियर टेस्ट में 16 में पूरे 16 स्कोर हासिल किए हैं. फ्रंट ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर टेस्ट में चेस्ट एरिया की सेफ्टी के लिए कम स्कोर किया। इसमें 16 में से 14.08 स्कोर मिले हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है 5 स्टार रेटिंग और इसका क्या मतलब है...

ग्लोबल NCAP में भी दोनों कारों का दिखा था कमाल

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के एमडी शैलेश चंद्रा को BNCAP सर्टिफिकेट सौंपकर बधाई दी। बता दें कि इन दोनों SUV को ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में 5 स्टार रेटिंग किए थे।

क्या होती है 5 स्टार रेटिंग

एजेंसी भारतीय परिस्थितियों के अनुसार तय नॉर्म्स पर कारों का क्रैश टेस्ट कर सेफ्टी रेटिंग देती है। इस टेस्ट में कारों को 0 से 5 स्टार तक की रेटिंग एजेंसी देती है। अगर किसी कार को 0 स्टार मिले हैं, तो उसका मतलब अनसेफ और 5 स्टार का मतलब पूरी तरफ सेफ माना जाता है।

तीन पैरामीटर पर होते हैं क्रैश टेस्ट

1.एडल्ट ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन- इसमें देखा जाता है कि अगर कार सामने या साइड की तरफ से टकराती है तो तब इसमें बैठने वाले पैसेंजर और ड्राइवर कितने सुरक्षित रहे।

2. चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन- इसमें देखा जाता है कि कार में सामने या साइड से टक्कर होने पर इसमें बैठने वाले बच्चे कितने सुरक्षित रहे।

3. सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजीस- सरकार के नियम के अनुसार, कार में स्टैंडर्ड सेफ्टी फीचर हैं या नहीं और हादसे के वक्त वे सही तरह काम करते हैं या नहीं।

कार क्रैश टेस्ट कैसे होता है

  • टेस्ट में इंसान की 4-5 डमी कार में बैठाकर, बैक सीट पर बच्चे की डमी रखी जाती है, जिसे चाइल्ड ISOFIX एंकर सीट पर फिक्स कर दी जाती है।
  • गाड़ी को फिक्स्ड स्पीड पर ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर यानी हार्ड ऑब्जेक्ट से टक्कर कराकर देखा जाता है कि गाड़ी और डमी को कितना नुकसान हुआ।
  • फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में कार को 64 किमी प्रति घंटे की स्पीड से बैरियर से टकराया जाता है। साइड इम्पैक्ट टेस्ट में गाड़ी की स्पीड 50 kmph होती है।
  • पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट में कार को फिक्स स्पीड पर पोल से टक्कर कराकर पहले दो टेस्ट में कार के 3 स्टार रेटिंग हासिल करने पर तीसरी टेस्टिंग होती है।
  • क्रैश टेस्ट में देखा जाता है कि इम्पैक्ट के बाद उसमें डमी को कितना नुकसान हुआ। एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स कितने काम का रहा। इसी आधार पर रेटिंग दी जाती है।

ये भी पढ़ें

खरीदनी है इलेक्ट्रिक कार तो करें थोड़ा इंतजार, 2024 में आ रहीं ये धांसू EVs

 

समय पर करें ये काम, वरना कबाड़ हो जाएगी आपकी नई कार !

 

 

PREV

Recommended Stories

पुराना स्टॉक खत्म करने के लिए Tata Curvv पर अनाउंस हुआ बंपर डिस्काउंट!
साल 2025 की सबसे बड़ी छूट! इस शानदार SUV पर डायरेक्ट 4 लाख का डिस्काउंट