चीन को लगेगा करंट, भारत में ही बनेगी lithium ion battery , सस्ते हो जाएंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल

भारत में ई-वाहनों में इस्तेमाल की जाने वाली लिथियम आयन बैटरी का निर्माण भी शुरू किया जाएगा। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत (NITI Aayog CEO Amitabh Kant) ने कहा कि इम्पोर्ट घटाने के लिए चिली, अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, बोलिविया जैसे देशों के साथ एग्रीमेंट किया गया है।  

ऑटो डेस्क, Lithium ion battery will be made in India : भारत में लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों के तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। सरकार देश में जल्द से जल्द पेट्रोल- और डीजल पर निर्भरता कम करना चाहती है। इसके लिए  ईवी वाहनों को प्रमोट किया जा रहा है। वहीं ई-वाहनों को मध्यम वर्ग की रेंज में लाने के लिए कई प्रदेश सरकारों ने सब्सिडी की घोषणा भी की है। वहीं इन वाहनों में  लगने वाली महंगी बैटरी को अब भारत में ही बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने कदम बढ़ाए हैं। नीति आयोग की मानें तो आने वाले कुछ सालों में लिथियम आयन बैटरी का निर्माण भारत में भी शुरू हो जाएगा। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ( NITI Aayog CEO Amitabh Kant) ने इस संबंध को कहा कि इम्पोर्ट घटाने के लिए विभिन्न देशों के साथ लिथियम बैटरी के लिए एग्रीमेंट किए जा रहे हैं।

विभिन्न देशों के साथ एग्रीमेंट
सीईओ अमिताभ कांत ने इस  संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि कांत के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (काबिल) अर्जेंटिना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया (Argentina, Chile, Australia and Bolivia) में  लिथियम और कोबाल्ट की खदानों के लिए चर्चा चल रही है। इन देशों में लिथियम का बड़ा भंडार है। वहीं शहरी mining पर भी तेज गति से कार्य प्रगति पर है। यहां रिसाइकिलिंग के जरिए लिथियम का प्रोडक्शन किया जाएगा। इससे नए रसायन के इस्तेमाल में कमी आएगी। इस तकनीक से भी इम्पोर्ट घटाने में मदद मिलेगी।

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संसदीय समिति ने भी किया समर्थन
अमिताभ कांत ने आगे जानकारी देते हुए कहा, e-vehicle industry के लिए कार्य कर रही parliamentary committee ने भी देश में लिथियम आयन बैटरी का प्रोडक्शन करने पर जोर दिया है। कमेटी ने कहा है कि  साल 2030 तक देश का ई- व्हीकल मार्केट 206 अरब डॉलर पहुंच सकता है, जो लिथियम बैटरी के होम प्रोडक्शन के बिना संभव नहीं है। 

चीन से घटाया जाएगा इम्पोर्ट 
सरकार ने लिथियम आयन बैटरी के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शामिल कर लिया है। केंद्र ने र इसके लिए करीब 43 हजार करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। मौजूदा समय में देश में लिथियम बैटरी व सेल की एक भी प्रोडक्शन यूनिट नहीं है । ये बैटरी आयात की जाती हैं, चीन से सबसे ज्यादा इम्पोर्ट किया जाता है।

भारत जीरो कार्बन उत्सर्जन की नीति पर आगे बढ़ेगा
electric vehicle market में अगले पांच साल में करीब 94 हजार करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट किया जाएगा । 
Collier India and Indospace report के मुताबिक, भारत ने पर्यावरण संरक्षण (Environment protection ) को लेकर कॉप-26 में अपना टारगेट सेट किया है। इसमें कहा गया है कि भारत साल 2070 तक zero carbon emissions का वादा करता है। 
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