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Year Ender 2021: चिप बिन सब सून, Semiconductor की कमी से इस साल ऑटो, इलेक्ट्रानिक इंडस्ट्री को भारी नुकसान
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सेल में 5 अरब डॉलर की कमी
चिप की कमी की वजह से (Chip shortage) से भारत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश में इस चिप का प्रोडक्शन नहीं होता है। ऑटो इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक 2021 में कार कंपनियों की बिक्री में 5 अरब डॉलर की कमी आई जो उनके कुल उत्पादन का 20 फीसदी है। ग्लोबल ऑटोमोटिव फोरकास्टिंग फर्म IHS Market के Associate Director गौरव वंगाल (Gaurav Vangaal) ने कहा कि 2021 में सेमीकंडक्टर की कमी के कारण भारत को करीब 5 लाख लाइट Vehicles का नुकसान हुआ है। इस कमी की वजह से बीते 6 महीने में रेनॉ इंडिया (Renault India) की 25,000 से 30,000 यूनिट का कम प्रोडक्शन है, ये उनके Monthly Production का 30 फीसदी है, प्रमुख कार निर्माता कंपनियां मारुति, हुंदई और महिंद्रा अपने ग्राहकों को समय पर डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं। इस समय देश में पांच लाख से अधिक कारों की Delivery रुकी हुई है। देश की सबसे अधिक व्हीकल बेचने वाली मारुति कंपनी के पास 2.15 लाख से अधिक की डिलीवरी पेंडिंग हैं । वहीं हुंदई के पास भी एक लाख से अधिक कारों की बुकिंग रुकी हुई है।
इलेक्ट्रानिक आयटम्स बनाने वाली कंपनियां भी हुईं प्रभावित
देश में ग्लोबल चिप की सप्लाई रुकने से 150 से अधिक इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। साल 2022 में भी ये समस्या जस की तस बन रही सकती है। चिप संकट से अमेरिका जैसा देश भी प्रभावित हुआ है। बता दें कि इलेक्ट्रानिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर्स की जरुरत होती है।
स्मार्टफोन्स, डेटा सेंटर्स, गेम कंसोल, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डिवाइस, ऑटो सेक्टर, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एग्री टेक, एटीएम और कई तरह के प्रोडक्टस में इसका इस्तेमाल होता है। कार कॉम्पोनेंट्स, जैसे- डिजिटल स्पीडोमीटर, इंफोटेनमेंट सिस्टम्स, इंजिनों का कंप्यूटराइज्ड मैनेजमेंट और ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम में चिप्स का इस्तेमाल होता है।
संसद में भी उठा था मुद्दा
ये मुद्दा दिसंबर महीने की शुरुआत में संसद में भी उठा था। प्रश्नकाल के दौरान ही बीजेपी सांसद जे अल्फोंस ने सेमीकंडक्टर से जुड़ी समस्या को उठाया था। इस पर मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बीते 10 सालों में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग (Electronics manufacturing industry) में प्रोगेस हुई है । इसमें 75 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। इस क्षेत्र में हर साल 25-26 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हो रही है । अगले पांच साल में यह 250 अरब डॉलर तक हो जाएगा। वहीं अब सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर (SIAM) ने भी इस मामले में नए आंकड़े जारी किए हैं। नंबवर महीने यात्री वाहनों (पीवी) की थोक बिक्री 2,15,626 यूनिट्स थी, जो नवंबर 2020 की 2,64,898 यूनिट्स से 19 प्रतिशत कम है।
चिप बिन सब सून
चिप एक पोर्ट डिवाइस होता है, इसका इस्तेमाल आंकड़े एकत्रित करने में होता है। ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां चिप की भारी कमी से जूझ रही हैं। बता दें कि इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग और गाड़ियों में ब्रेक को ऑपरेट करने के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल किया जाता है। वाहनों के हर मॉडल में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा है। कारों के अलावा टू व्हीलर में मोबाइल कनेक्टीविटी फीचर्स देने के लिए इस चिप का इस्तेमाल होने लगा है।
इलेक्ट्रानिक डिवाइस का माइंड है चिप
आधुनिक वाहनों में इंफर्मेंशन के अलावा सेफ्टी फीचर के लिए भी सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल होता है। इसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का माइंड या मस्तिष्क कहा जाता है। मौजूदा समय में कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल में आम वाहनों के मुकाबले ज्यादा चिप लगते हैं।
टू व्हीलर की बिक्री में भारी गिरावट
टू व्हीलर की कुल थोक बिक्री बीते महीने 34 प्रतिशत घटकर 10,50,616 यूनिट्स रह गयी है, जो एक साल पहले इसी अवधि में 16,00,379 यूनिट्स थी। नवंबर 2021 में थ्री व्हीलर वाहनों की थोक बिक्री 22,471 यूनिट्स रही, जो एक साल पहले इसी महीने की 24,071 यूनिट्स से सात प्रतिशत कम है। नबंबर महीने सभी कैटेगिरी में वाहनों की कुल बिक्री एक साल पहले की समान अवधि की 18,89,348 यूनिट्स से घटकर 12,88,759 यूनिट्स रह गयी है।
कोरोना महामारी ने बढ़ाया चिप संकट
कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में कई फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया था। इससे सेमीकंडक्टर की भारी शार्टेज हो गई है। महामारी के दौरान मांग कम होने के चलते इसका असर नहीं दिखा था, वहीं स्थितियां सामान्य होने के बाद अब इसकी भयावहता सामने आई है। कोरोना संकट थमने के बाद दुनियाभर में इलेक्ट्रॉनिक आयटम्स की मांग बढ़ी है और कंपनियों के लिए चिप संकट के कारण मांग पूरी करना भारी पड़ रहा है।
चिप की कैसे हुई शॉर्टेज
चिप शॉर्टेज की शुरुआत लॉकडाउन की वजह से आना शुरु हुई है। साल 2020 में ही इसकी कमी आने लगी थी, शुरू में प्रोडक्ट्स कीचि डिमांड कम थी, इस वजह से इंडस्ट्री को फर्क नहीं पड़ा था। वहीं कोरोना संकट में कमी आते ही इलेक्ट्रानिक उत्पादों की मांग बढ़ने पर इसे उपलब्ध कराना मुश्किल होता गया। जापान - ताइवान में लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्रियां बंद हो गई, फैक्ट्री शुरु भी हुईं तो कर्माचारी काम पर वापस नहीं लौटे, इस दौरान एक बड़ी फैक्ट्री में आग लगने से प्रोडक्शन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
जियो फोन की टालनी पड़ी थी लॉन्चिंग
चिप की कमी वजह से कंपनियों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। वहीं शॉर्टेज की वजह से कंपनियों को सेमीकंडक्टर खरीदने के लिए अधिक रकम चुकानी पड़ रही है। इसके साथ ही उन्हें डिलिवरी के लिए लंबा इतंजार करना पड़ रहा है। इस शॉर्टेज की वजह से स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, गेम कंसोल, आटोमोबाइल और मेडिकल डिवाइस के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है। भारत में चिप की कमी की वजह से रिलायंस और गूगल के फोन की लॉन्चिंग टाली पड़ी थी।
Tata Group बनायेगा सेमीकंडक्टर चिप
Tata Group सेमीकंडक्टर असेंबल करने और टेस्टिंग यूनिट शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कंपनी इसके लिए तकरीबन 300 मिलियन डॉलर (22,515,900,000.00 रुपए) तक भारी इंवेस्मेंट करने का मन बना चुकी है। इस प्रोजेक्ट को लेकर मीडिया रिपोर्टस के अनुसार टाटा कंपनी तीन राज्यों से इसके लिए चर्चा कर रही है। नेक्सट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में टाटा ग्रुप का यह महत्वपूर्ण कदम है। सूत्रों के मुताबिक टाटा इसके लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना सरकार ( Government of Tamil Nadu, Karnataka and Telangana ) से चर्चा कर रहा है । कंपनी Outsourced Semiconductor Assembly and Test (OSAT) ) प्लांट के लिए इन राज्य सरकारों से जमीन उपलब्ध कराने की मांग कर रहा है।
जून 2022 तक सामान्य होगी स्थिति
एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि अगले साल के मध्य में ये कमी दूर हो सकती है। जब इसकी सप्लाई बढ़ेगी। एक्सपर्ट का मानना है की धीरे-धीरे स्थित सुधर रही है, लेकिन इपहले जैसे हालात होने में अभी भी 6 से 7 महीनों का समय लग सकता है। इस लिहाज से अगले साल 2022 के जून महीने तक स्थिति सामान्य हो पाएगी।
केंद्र सरकार ने 76000 करोड़ की प्रोत्साहन राशि का किया ऐलान
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सेमीकंडक्टर फैब्रिकेटर और डिस्प्ले निर्माताओं की मदद के लिए 76,000 करोड़ रुपये की incentive plan को मंजूरी दी, इससे भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन केंद्र (global electronics production hub) बनाने के प्रयास को मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि semiconductors and display manufacturing का प्रोडक्शन हब करने के लिए एक project को मंजूरी दी गई है, इस परियोजना पर 6 वर्षों में 76,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।