प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी सांसद जे अल्फोंस (BJP MP J Alphons) ने सेमीकंडक्टर से जुड़ी समस्या को उठाया था। इस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Minister Ashwini Vaishnav) ने कहा कि बीते 10 सालों में Electronics manufacturing industry में प्रोगेस हुई है । इसमें 75 अरब डॉलर का निवेश हुआ है।
ऑटो डेस्क। सेमीकंडक्टर चिप (semiconductor chip ) की कमी से पूरी दुनिया जूझ रही है। देश में ऑटो सेक्टर को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यही स्थिति स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक डिवाइस प्रोडक्शन कंपनियों का है। ये स्थिति अगले साल भी बनी रहेगी । वहीं इस पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में जवाब दिया है। वैष्णव ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग बहुत जटिलता लिए हुए है। इसमें भारी निवेश की भी जरूरत होती है। वैष्णव ने कहा कि सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है । सरकार इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से बातचीत कर रही है। इसके अच्छे नतीजे निकलेंगे।
बीजेपी सांसद ने अपनी सरकार से पूछा सवाल
प्रश्नकाल के दौरान ही बीजेपी सांसद जे अल्फोंस ने सेमीकंडक्टर से जुड़ी समस्या को उठाया था। इस पर वैष्णव ने कहा कि बीते 10 सालों में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग (Electronics manufacturing industry) में प्रोगेस हुई है । इसमें 75 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। इस क्षेत्र में हर साल 25-26 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हो रही है । अगले पांच साल में यह 250 अरब डॉलर तक हो जाएगा।
इलेक्ट्रानिक आयटम्स बनाने वाली कंपनियां हो रहीं प्रभावित
देश में ग्लोबल चिप की सप्लाई रुकने से 150 से अधिक इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। साल 2022 में भी ये समस्या जस की तस बन रही सकती है। चिप संकट से अमेरिका जैसा देश भी प्रभावित हुआ है। बता दें कि इलेक्ट्रानिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर्स की जरुरत होती है। स्मार्टफोन्स, डेटा सेंटर्स, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डिवाइस, ऑटो सेक्टर, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एग्री टेक, एटीएम और कई तरह के प्रोडक्टस में इसका इस्तेमाल होता है।
कोरोना महामारी ने बढ़ाया चिप संकट
कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में कई फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया था। इससे सेमीकंडक्टर की भारी शार्टेज हो गई है। महामारी के दौरान मांग कम होने के चलते इसका असर नहीं दिखा था, वहीं स्थितियां सामान्य होने के बाद अब इसकी भयावहता सामने आई है। कोरोना संकट थमने के बाद दुनियाभर में इलेक्ट्रॉनिक आयटम्स की मांग बढ़ी है और कंपनियों के लिए चिप संकट के कारण मांग पूरी करना भारी पड़ रहा है।
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