मुसलमानों के वोट पर अभी से घमासान, अब मुस्लिम लीग से बिगड़ेगा गठबंधन को तैयार बैठे ओवैसी का खेल

ओवैसी ने पिछला चुनाव अकेले लड़ा था। मुस्लिम मतदाताओं के बीच उनका कुछ असर भी देखा गया। वो राजनीतिक ताकत नहीं बन पाए। इसके लिए उन्हें पिछड़ा और दलित मतों की भी दरकार है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 1, 2020 9:50 AM IST / Updated: Sep 01 2020, 03:23 PM IST

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले इस बार यह साफ हो गया है कि तीसरी पार्टियां सांकेतिक लड़ाई के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। बल्कि उनकी कोशिश है कि एक हद तक चुनाव के नतीजों को अपने पक्ष में मोड़ा जाए। इन तीसरे दलों में पिछले कुछ चुनाव के दौरान अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी एआईएमआईएम भी है। दरअसल, बिहार के सीमांचल में कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं। इन्हीं चीजों को देखते हुए असदुद्दीन ओवैसी इस बार बड़े प्लान के साथ मैदान में कूदना चाहते हैं। 

ओवैसी, एनडीए के अलावा किसी के साथ भी गठबंधन करने को तैयार हैं। ओवैसी ने पिछला चुनाव अकेले लड़ा था। मुस्लिम मतदाताओं के बीच उनका कुछ असर भी देखा गया। वो राजनीतिक ताकत नहीं बन पाए। इसके लिए उन्हें पिछड़ा और दलित मतों की भी दरकार है। पिछले कुछ चुनाव में एआईएमआईएम ने अच्छा खासा वोट हासिल किया लेकिन आरोप लगा कि उन्होंने बीजेपी के पक्ष में विपक्षी दलों के वोट काटे। इस बार ओवैसी ने पहले ही दूसरे दलों को गठबंधन करने का ऑफर दे दिया है। हालांकि ओवैसी मुस्लिम मतों के सहारे जिस ताकत को बनाने की कोशिश कर रहे हैं उस पर अब मुस्लिम लीग ने भी दावा कर दिया है। 

18 सीटों का ऐलान 
ओवैसी 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। पार्टी ने सीमांचल की 18 सीटों की घोषणा कर दी है जहां वो उम्मीदवार उतारने जा रही है। पार्टी चाहती है कि गैर एनडीए दल साथ आकर गठबंधन करें ताकि राज्य में दलित, ओबीसी और मुसलमानों का राजनीतिक गठजोड़ बनाया जा सके। लेकिन ओवैसी के प्लान को मुस्लिम लीग ने चुनौती देते हुए सीमांचल की उन 13 सीटों का ऐलान कर दिया है जहां से उम्मीदवार उतारे जाएंगे। 

लीग ने खेला मुस्लिम कार्ड 
मुस्लिम लीग के बिहार अध्यक्ष अल्हाज नईम अख्तर ने आरोप लगाया कि सीमांचल के मुसलमानों को उनका वाजिब हक नहीं मिला। सिर्फ मुस्लिम लीग ही उन्हें हक दिला सकती है। केरल का उदाहरण देते हुए कहा, "केरल में 12 प्रतिशत आरक्षण मुसलमानों को दिया गया। सीमांचल में भी लीग मुसलमानों को इसी तरह फायदा दिलाने का प्रयास करेगी।" लीग ने मुसलमानों को ओवैसी से बचने की सलाह दी। आरोप लगाया कि ओवैसी ने हैदराबाद में भी मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया। उनका मकसद सिर्फ मुसलमानों को लॉलीपॉप दिखाना है। 

बिहार में 12-68% से ज्यादा मुसलमान वोटर 
अगर 2019 के लोकसभा क्षेत्र के आधार पर देखें तो राज्य की 40 में से 15 सीटों पर मुस्लिम सीधे-सीधे निर्णायक हैं। यहां मुस्लिम मत 12 से 68 प्रतिशत के बीच हैं। चार ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं जहां वोटर्स की ये संख्या 38 से 68 प्रतिशत के बीच है। ये चार सीटें हैं किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया। यहां से अलग-अलग पार्टियों के मुस्लिम सांसद ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। 15 लोकसभा क्षेत्रों में 40 से 50 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता किसी को भी चुनाव हरा या जीता सकती है। यही वजह है कि इन पर दावेदारी के लिए लीग और एआईएमआईएम में होड़ नजर आने लगी है। आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू को भी इन मतों से आस होगी। लेकिन बिहार के मुस्लिम मतदाताओं का फैसला क्या होगा ये देखने वाली बात होगी। 

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