मायावती के साथ मोर्चा बनाकर तेजस्वी को सबक सिखाना चाहते थे कुशवाहा, RJD में 'भाग' गए BSP के स्टेट चीफ

महागठबंधन से अलग होकर मायावती के साथ गठबंधन कर तीसरा बड़ा मोर्चा बनाने की कोशिशों में लगे उपेंद्र कुशवाहा को तगड़ा झटका लगा है। बीएसपी के स्टेट चीफ भरत बिंद ने पार्टी से किनारा कर लिया है।  

Asianet News Hindi | Published : Oct 3, 2020 8:39 AM IST

पटना। सीटों का समझौता नहीं हो पाने की वजह से महागठबंधन (Mahagathbandhan) से अलग होकर मायावती (Mayawati) के साथ गठबंधन कर तीसरा बड़ा मोर्चा बनाने की कोशिशों में लगे आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, पहले आरएलएसपी के दिग्गज नेता माधव आनंद (Madhav Anand) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अब बीएसपी के स्टेट चीफ भरत बिंद (Bharat Bind) ने भी बीएसपी से किनारा कर लिया है।  

भरत बिंद ने तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) की मौजूदगी में आरजेडी (RJD) दामन थाम लिया है। चर्चा है कि आरजेडी भरत को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बना सकती है। भरत का पार्टी में स्वागत करते हुए आरजेडी ने कहा- "बसपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष श्री भरत बिंद जी नया बिहार बनाने और भ्रष्ट युवा विरोधी नीतीश सरकार हटाने के संकल्प के साथ माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद में सम्मिलित हुए।" आरएलएसपी (RLSP) नेता माधव आनंद के भी आरजेडी में जाने की चर्चाएं हैं। 

विकल्प देना चाहते हैं कुशवाहा 
बताते चलें कि महागठबंधन से अलग होने के बाद बीएसपी (BSP) और जनतांत्रिक  पार्टी (सोशलिस्ट) के साथ गठबंधन करने वाले कुशवाहा (Upendra Kushwaha) एनडीए (NDA) के सामने एक मजबूत राजनीतिक विकल्प देने का दावा कर रहे थे। वो चिराग पासवान (Chirag Paswan) और कुछ दूसरे दलों के आने का भी इंतजार कर रहे थे। लेकिन राजनीतिक वजूद बचाने के अभियान में लगे कुशवाहा को तगड़ा झटका लगता दिख रहा है। बिहार में अब तक आधा दर्जन मोर्चे सत्ता की लड़ाई में कूद चुके हैं। इस बीच बीएसपी और कुशवाहा के बीच सीटों का समझौता कर लिया गया है। 

आरएलएसपी-बीएसपी में क्या सम्झौता हुआ है?
समझौते के मुताबिक राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से कुशवाहा की आरएलएसपी के हिस्से 153 और बीएसपी के हिस्से 90 सीटें आ रही हैं। पिछले चुनाव में मिले वोट की बात करें दो दोनों दलों ने करीब 2.5-2.5 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किए थे। बीएसपी ने अकेले लड़कर और आरएलएसपी ने एनडीए में रहकर ये वोट हासिल किए थे। वैसे दोनों दलों का साथ आना राज्य की कई सीटों पर असर दिखा सकता है। लेकिन बड़े नेताओं के जाने से चुनाव से पहले ही नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। 

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