चिराग पासवान का दावा- सीटों की वजह से नहीं, इसलिए नीतीश कुमार और बिहार NDA का छोड़ा साथ

चिराग ने दावा किया कि सीट शेयरिंग पर एनडीए में कोई विवाद नहीं था। एक इंटरव्यू में एलजेपी चीफ ने कहा- "हम सीट बंटवारे की नहीं बल्कि एजेंडा की लड़ाई लड़ रहे थे।" 

पटना। एलजेपी चीफ चिराग पासवान ने पहली बार खुलासा किया कि उनकी पार्टी आखिर क्यों बिहार में एनडीए से अलग हुई। पहले चर्चा थी कि एलजेपी सीटों के बंटवारे की वजह से लगातार प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा ले रही थी। मगर चिराग ने दावा किया कि सीट शेयरिंग पर एनडीए में कोई विवाद नहीं था। एक इंटरव्यू में एलजेपी चीफ ने कहा- "हम सीट बंटवारे की नहीं बल्कि एजेंडा की लड़ाई लड़ रहे थे।" 

चिराग ने कहा- "एलजेपी चाहती थी कि एनडीए में 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट विजन' को अगली सरकार में लागू किया जाए। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा। मजबूरन हमें हमारे विजन के लिए बाहर होना पड़ा।" चिराग के मुताबिक कि पापा (रामविलास पासवान) बिहार को विकसित राज्य के रूप में देखना चाहते थे। दूसरे राज्यों के मुक़ाबले बिहार में विकास गली-नाली, चापाकल, पेयजल आदि चीजों पर रुक जाती है। बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का विजन इससे अलग तैयार किया गया है।" 

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मेरे पास दूसरा विकल्प नहीं था 
चिराग ने दावा किया- "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के विजन को लेकर हमने एनडीए के सहयोगी दलों से आग्रह किया था। लेकिन मुख्यमंत्री जी (नीतीश कुमार) 7 निश्चय पर आगे बढ़ रहे थे। उन्होंने सात निश्चय पार्ट-2 की भी घोषणा कर दी। मैं एजेंडा से समझौता नहीं कर सकता था। बिहार फ़र्स्ट विजन के लिए मेरे पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था।" चिराग ने दावा किया कि वो बीजेपी नेताओं से मिले, लेकिन मुलाक़ात सीट बंटवारे के लिए नहीं थी बल्कि उनके बिहार विजन के लिए थी। 

पहले क्या चर्चा थी 
इससे पहले चर्चा यह थी कि चिराग एनडीए में अपनी भूमिका बढ़वाना चाहते थे। वो 42 से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे। नीतीश कुमार के सीएम फेस पर भी सवाल उठा रहे थे। इसके लिए उनके दबाव से निपटने के लिए नीतीश ने महादलित नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को महागठबंधन से एनडीए में मिला लिया। चिराग को ये बात भी पसंद नहीं आई। बीजेपी ने चीजों को संभालने की कोशिश की मगर किसी भी फॉर्मूले पर नीतीश और चिराग सहमत नहीं हो पाए। बाद में एलजेपी ने अलग होने का फैसला लिया। 

बीजेपी के खिलाफ भी उम्मीदवार 
हालांकि एलजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी के कमा और अपने विजन पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। चुनाव बाद बीजेपी संग सरकार बनाने का भी ऐलान किया। पहले पार्टी ने जेडीयू कोटे की सभी 122 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कही। लेकिन चिराग ने बीजेपी के खिलाफ भी कुछ जगहों पर उम्मीदवार दिए हैं। 

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