किसी भी मामले में BJP से पीछे नहीं रहना चाहते नीतीश कुमार, विपक्ष को हराने के साथ बना रहे ये स्ट्रेटजी

एनडीए में जेडीयू के अलावा बीजेपी, एलजेपी और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा सहयोगी दल के रूप में शामिल हैं। लेकिन एनडीए में शामिल दल पार्टी स्तर पर जिस तरह तैयारियां कर रहे हैं उससे लग रहा है कि वो सहयोगी दलों से पीछे नहीं रहना चाहतीं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 17, 2020 1:04 PM IST / Updated: Sep 17 2020, 06:38 PM IST

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly elections) के लिए अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। मगर कई राजनीतिक दलों ने अपने अभियान की शुरुआत कर दी है। तैयारियां सिर्फ विपक्षी पार्टियों से निपटने के लिए ही नहीं की जा रही बल्कि जिन पार्टियों के साथ मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा जा रहा है, उनसे भी बढ़त लेने की स्ट्रेटजी पर काम कर रही हैं। एनडीए (NDA) में शामिल जेडीयू भी ऐसी ही तैयारी में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में राज्य में इस वक्त एनडीए की सरकार है। 

एनडीए में जेडीयू (JDU) के अलावा बीजेपी, एलजेपी (LJP) और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) सहयोगी दल के रूप में शामिल हैं। लेकिन एनडीए में शामिल दल पार्टी स्तर पर जिस तरह तैयारियां कर रहे हैं उससे लग रहा है कि वो सहयोगी दलों से पीछे नहीं रहना चाहतीं। जेडीयू किसी मामले में बीजेपी (BJP) की तुलना में अपनी तैयारियों को कमजोर नहीं पड़ने देना चाहती। कोरोना के दौर में चुनाव होने जा रहे हैं और तैयारियों के लिहाज से जेडीयू ने बीजेपी की तरह बूथ स्तर तक डिजिटल कैम्पेन का जाल तैयार किया है। 

जेडीयू ने चुनाव की घोषणा से पहले ही वर्चुअल रूप से खुद को मजबूत बना लिया है। बीजेपी की तरह पार्टी का अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म 'जेडीयू लाइव डॉट कॉम' है। इसी के जरिए वर्चुअल रैलियों से लेकर वीडियो मीटिंग्स आयोजित की जा सकती हैं। प्लेटफॉर्म पर नीतीश कुमार की एक सफल रैली भी हो चुकी है। सोशल मीडिया पर आधिकारिक अकाउंट के अलावा थर्ड पार्टी अकाउंट की मदद भी ली जा रही है। 

पार्टी का थीम सॉन्ग भोजपुरी में 
जेडीयू कोटे की संभावित सीटों पर हर एक बूथ को डिजिटली कनेक्ट किया गया है। वाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं और पार्टी की जिला इकाइयां काम कर रही हैं। केंद्रीय ईकाई पूरे कैम्पेन को मॉनिटर कर रही है। पार्टी ने अपना थीम सॉन्ग भी लॉन्च कर दिया है। 2 मिनट 51 सेकेंड लंबे थीम सॉन्ग का टाइटल "राइजिंग बिहार" है। गाने की भाषा भोजपुरी है और इसमें नीतीश सरकार के 15 साल के काम को फोकस किया गया है। 

इसके अलावा पार्टी सामाजिक समीकरण को भी ध्यान में रखे हुए है। खासकर महादलित और अतिपिछड़ा वोटों के लिए एनडीए में तैयारी भी की है। दरअसल, जब लगा कि महादलित वोटों को आधार बनाकर एलजेपी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए जेडीयू पर दबाव बना रही है, नीतीश कुमार ने दूसरे महादलित नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को अपने साथ मिला लिया। 

नीतीश का राजनीतिक मकसद 
ये कवायद किसी भी सूरत में चिराग (Chirag Paswan) की नाराजगी से होने वाले नुकसान के तौर पर है। मांझी (Jeetanram Manjhi) के आने के बाद यह साफ भी हुआ कि एनडीए में उनकी एंट्री नीतीश की वजह से ही हुई है। दरअसल, एनडीए ने भले ही इस बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा माना है, लेकिन बीजेपी की कोशिश ज्यादा से ज्यादा सीटों को जीतना है। चर्चाओं में कहा गया कि बीजेपी अपने लिए 100 सीटें और एनडीए के लिए 220 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यह भी साफ हो रहा है कि एनडीए में एलजेपी, बीजेपी के ज्यादा करीब है। यह बताने की जरूरत नहीं कि किसी भी गठबंधन में वही दल ताकतवर होता है जिसका संख्याबल ज्यादा होता है। 

चौकन्ने हैं नीतीश कुमार 
नीतीश कुमार, बीजेपी-एलजेपी की खिंचड़ी से चौकन्ने लगते हैं। यही वजह है कि वो इस बार एनडीए में सबसे ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहते हैं। जेडीयू ने 120 सीटों पर दावा किया है। जबकि बीजेपी को 100 सीट देने की चर्चा है। इसके बाद बाकी 23 सीटें एलजेपी को दी जाएंगी। 43 सीटें मांग रही नाराज एलजेपी को बीजेपी अपने कोटे से आधा दर्जन से ज्यादा सीटें देने को तैयार बताई जा रही है। जबकि HAM को जेडीयू कोटे से 8-10 सीटें मिलेंगी। चुनाव फॉर्मूला लगभग यही रहने की उम्मीद है। नीतीश कुमार एनडीए में खुद को ताकतवर बनाए रखने के लिए सहयोगी दलों से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहते हैं।

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