मुकेश साहनी के कदम की वजह से अभी बाकी है NDA की फाइनल पिक्चर, सत्ता की रेस में हैं ये मोर्चे

महागठबंधन से अलग होने के बाद वीआईपी चीफ मुकेश साहनी को दिल्ली बुलाया गया है। साहनी की एनडीए में एंट्री के साथ एलजेपी से हुए नुकसान के भरपाई की कोशिश हो रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2020 10:26 AM IST / Updated: Oct 07 2020, 11:36 AM IST

पटना। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हुए पांच दिन हो गए हैं, लेकिन बिहार की सत्ता में काबिज एनडीए (NDA) का स्वरूप अंतिम रूप से फाइनल नहीं हो पाया है। ऐन मौके पर एलजेपी चीफ चिराग पासवान (LJP Chief Chirag Paswan) ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व पर असहमति जताते हुए खुद को एनडीए से अलग कर लिया और 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उधर, महागठबंधन में सीट शेयरिंग की अनाउंसमेंट के ठीक बाद मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) ने भी तेजस्वी पर निशाना साधते हुए खुद को अलग कर लिया। 

महागठबंधन (Mahagathbandhan) से अलग होने के बाद मुकेश साहनी को दिल्ली बुलाया गया है। साहनी की एनडीए में एंट्री के साथ एलजेपी (LJP) से हुए नुकसान के भरपाई की कोशिश हो रही है। साहनी एनडीए में जाएंगे अलग चुनाव लड़ेंगे या किसी और मोर्चे में शामिल होंगे यह साफ होने के बाद ही बिहार में करीब आधा दर्जन मोर्चों की तस्वीर क्लियर होगी। फिलहाल 243 विधानसभा सीटों के चुनाव में राज्य के चार बड़े मोर्चे सत्ता की रेस में दमखम दिखा रहे हैं। एलजेपी का अकेले लड़ना तय है। 

एनडीए: पिक्चर भी बाकी है 
एनडीए में बीजेपी, जेडीयू (JDU) और हिन्दुस्तानी अवामी (HAM) के रूप में तीन दल शामिल हैं। लेकिन ये अंतिम पिक्चर नहीं है। कहा जा रहा है कि बीजेपी नेता, मुकेश साहनी को एनडीए में लाना चाहते हैं ताकि एलजेपी के जाने के बाद हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। वीआईपी (VIP) चीफ साहनी का फैसला आज शाम तक आ जाने की उम्मीद है। इसके बाद एनडीए की पिक्चर फाइनल होगी। 

महागठबंधन : शुरू हुई कसरत 
महागठबंधन की तस्वीर पूरी तरह साफ हो चुकी है। आरजेडी (RJD), कांग्रेस (Congress) के साथ सीपीआई (CPI), सीपीएम (CPM) और सीपीआई एमएल (CPI ML) शामिल हैं। समाजवादी पार्टी (SP) ने पहले ही आरजेडी का सपोर्ट कर दिया है। सीटों के बंटवारे के बाद पार्टी अब कैम्पेन में ज़ोर लगाएगी। 

कुशवाहा का मोर्चा: अभी भी साथियों का इंतजार  
महागठबंधन से अलग हुए आरएलएसपी (RLSP) चीफ उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने एनडीए में जाने की कोशिश की। लेकिन वहां भी बात नहीं बनी तो खुद का मोर्चा बना लिया। कुशवाहा के मोर्चे में मायावती (Mayawati) की बहुजन समाज पार्टी (BSP), जनवादी सोशलिस्ट पार्टी (JSP) शामिल है। कुशवाहा अभी भी और दलों की राह देख रहे हैं। 

प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन(पीडीए): कितना डालेंगे असर 
पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने भी प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (PDA) बनाया है। चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP), एमके फैजी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SDP), मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी (BMP) शामिल है। इसमें ओवैसी की AIMIM के आने की भी चर्चा है। पप्पू का मोर्चा सीमांचल और मिथिलांचल में असर डाल सकता है। कितना यह देखने वाली बात होगी। 

इन चार मोर्चों के अलावा छोटे-छोटे दलों का भी गठबंधन है। इसमें पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस (UDA) अहम है। अलायंस में करीब दर्जनभर छोटे-छोटे दल शामिल बताए जा रहे हैं। 

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