बिहार की इस सीट पर कभी नहीं चला लालू यादव की पार्टी का जादू, 2010 में कुछ वोटों से टूट गया था सपना

गोह, औरंगाबाद जिले की सामान्य विधानसभा सीट है। ये काराकट लोकसभा सीट का हिस्सा है। 2015 तक यहां समता पार्टी और जेडीयू का कब्जा रहा। अब तक इस सीट पर लालू यादव जीत की आरजेडी जीत नहीं पाई है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 3, 2020 12:24 PM IST / Updated: Nov 03 2020, 06:01 PM IST

गोह/पटना। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है। 

गोह, औरंगाबाद जिले की सामान्य विधानसभा सीट है। ये काराकट लोकसभा सीट का हिस्सा है। 2015 तक यहां समता पार्टी और जेडीयू का कब्जा रहा। अब तक इस सीट पर लालू यादव जीत की आरजेडी जीत नहीं पाई है। हालांकि कई बार आरजेडी प्रत्याशी यहां दूसरे नंबर पर रहा है। गोह में जेडीयू की जीत का सिलसिला पिछली बार तब टूटा जब जेडीयू बीजेपी से अलग हो गई और यहां आमना-सामना होने पर बीजेपी के मनोज कुमार ने आसान जीत हासिल की। 2015 की बदली राजनीति ने ये असर डाला कि एनडीए में आने के बावजूद ये अब ये सीट बीजेपी के कोटे में है। वैसे गोह में सबसे बढ़िया राजनीतिक लड़ाई 2010 के चुनाव में दिखी थी। तब चुनावी नतीजे में एक-एक वोट की कीमत नजर आई थी। 

मुकाबले में थे 14 उम्मीदवार 
लालू यादव की आरजेडी पिछले कई चुनाव से गोह में पहली जीत का स्वाद चखने को बेकरार है। 2010 में भी खूब कोशिश की गई थी। आरजेडी ने राम अयोध्या प्रसाद यादव को उम्मीदवार बनाया था। उनके सामने जेडीयू के रणविजय कुमार और कांग्रेस सीपीआई उम्मीदवारों समेत कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे। टॉप रेस में जेडीयू आरजेडी थी। भले ही गोह कभी जेडीयू का गढ़ थी, लेकिन उस चुनाव में उसे आरजेडी के सामने पहली बार जूझना पड़ा। 

694 वोट से जीता थी आरजेडी 
पहले दो उम्मीदवारों को छोड़ दें तो 2010 में गोह की लड़ाई से बाकी 12 प्रत्याशी शुरुआती रुझान में ही बहुत बाहर नजर आ रहे थे। इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि तीसरे और चौथे नंबर पर कांग्रेस और सीपीआई के उम्मीदवारों को क्रमश: 8 हजार और 3 हजार से कुछ ज्यादा ही वोट मिले थे। आखिरी राउंड की मतगणना के बाद जेडीयू के रणविजय ने किसी तरह 694 मतों से जीत हासिल की। रणविजय को 47,378 वोट मिले थे जबकि आरजेडी के राम अयोध्या प्रसाद को 46,684 वोट मिले थे। 

2010 में गोह के नतीजों ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि चाहे कुछ भी हो लेकिन लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया में अंतिम ताकत जनता के हाथ में होती है। जनता अपने एक वोट से किसी भी प्रत्याशी के भाग्य का फैसला कर सकती है। 

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