
नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव के साथ ही कुछ राज्यों में उपचुनाव होने वाले हैं। चुनाव लोकतांत्रिक देशों में एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए मतदाता उम्मीदों पर खरा न उतरने वाले दलों, प्रतिनिधि को हराने या जिताने का अधिकार पाते हैं। जनता के यही प्रतिनिधि मिलकर सरकार बनाने का काम करते हैं। लोकतंत्र में सरकार और सिस्टम का कंट्रोल जनता की वोट की शक्ति के जरिए होता है। जो यह सोचते हैं कि एक अकेले वोट से कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें दुनियाभर में "आयरन लेडी" के नाम से मशहूर ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर की कहानी जान लेना चाहिए।
मारग्रेट थैचर का जन्म एक बेहद मामूली परिवार में हुआ था। उनके पिता अल्फ्रेड रॉबटर्स साधारण किराना की दुकान चलाते थे। इसी दुकान से पूरे परिवार का खर्च और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई होती थी। अल्फ्रेड मैथेडिस्ट चर्च के प्रचारक भी थे। थैचर ने कई इंटरव्यू में बताया था कि पिता का उनके ऊपर काफी प्रभाव है। हमेशा उन्होंने पिता की सिखाई बातों को अमल में लाने की कोशिश की।
केमिस्ट से राजनीति तक का सफर
थैचर ने ऑक्सफोर्ड के समरविले कॉलेज से केमिस्ट्री में पढ़ाई की थी। बैरिस्टर बनने से पहले तक उन्होंने रिसर्च केमिस्ट के रूप में काम भी किया। 1959 में वो पहली बार सांसद चुनी गईं। 1970–74 में एडवर्ड हीथ ने उन्हें महत्वपूर्ण पद दिया। प्रधानमंत्री बनने से पहले थैचर ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुकी थीं और अपने मुखर नेतृत्व से देश दुनिया को प्रभावित कर रही थीं। वो कंजरवेटिव पार्टी की सदस्य थीं और आगे चलकर हीथ को पार्टी लीडरशिप के चुनाव में हराकर विपक्ष की नेता बनीं। उस वक्त तक थैचर ब्रिटेन में किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी को लीड करने वाली पहली महिला थीं। विपक्ष की नेता बनने के बाद उन्होंने जो किया वो इतिहास का सबसे दिलचस्प किस्सा है।
एक वोट से जीता था अविश्वास प्रस्ताव
1979 में थैचर विपक्ष की नेता थीं। इस वक्त प्रधानमंत्री जेम्स कैलहन के नेतृत्व में लेबर पार्टी सत्ता में काबिज थी। थैचर का तत्कालीन सरकार से कई मसलों पर विरोध था। इन्हीं वजहों से 1979 में उन्होंने जेम्स कैलहन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया। एक वोट की ताकत पर शक करने वालों को बताना जरूरी है कि ये अविश्वास प्रस्ताव ब्रिटेन की राजनीति में ऐतिहासिक साबित हुआ। तब थैचर के प्रस्ताव के पक्ष में 311 प्रतिनिधियों ने वोट डाले जबकि विपक्ष में 310 वोट पड़े। सिर्फ एक वोट से प्रस्ताव थैचर में पक्ष में गया। जेम्स कैलहन को हटना पड़ा। इस जीत ने ब्रिटेन की राजनीति का नक्शा ही बदल दिया। जेम्स कैलहन ब्रिटेन की राजनीति से ही गायब हो गए।
ऐसे मिला आयरन लेडी का खिताब
बाद में थैचर ने आम चुनाव में भी जीत दर्ज की और प्रधानमंत्री बनीं। अविश्वास प्रस्ताव में एक वोट ने थैचर और ब्रिटेन की किस्मत बदल दी थी। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में कई उल्लेखनीय कार्य किए। वो 11 साल तक ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रहीं। पहली महिला प्रधानमंत्री भी। आज भी उनकी कल्याणकारी योजनाओं को याद किया जाता है। मारग्रेट थैचर अंतराष्ट्रीय राजनीति पर मुखरता से ब्रिटेन का पक्ष रखती थीं। 1976 में सोवियत संघ (रूस) की दमनकारी नीतियों की खूब आलोचना की। रूस के ही एक अख़बार ने उन्हें पहली बार "आयरन लेडी" के रूप में प्रचारित किया। बाद में यह खूबी थैचर की विशेषता बन गई। 13 अक्तूबर 1925 को जन्मीं थैचर का निधन 8 अप्रैल 2013 को हुआ था।
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