बिहार में पार्टियों ने बहुत सोच समझकर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है। उम्मीदवारों के नाम से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव में दलों के निशाने पर किस समाज का मतदाता है।
पटना। बिहार में तीन चरणों में विधानसभा के चुनाव (Bihar Polls) कराए जा रहे हैं। पहले चरण के लिए लगभग सभी बड़े दलों ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। गठबंधन बनने में देरी की वजह से बड़े दलों के अहम प्रत्याशियों ने अभी तक पर्चा नहीं भरा था। 8 अक्तूबर को पहले चरण के मतदान प्रक्रिया के तहत नामांकन की आखिरी तारीख है। कम समय होने की वजह से नामांकन प्रक्रिया काफी तेज हो गई है। इस बार बिहार में पार्टियों ने बहुत सोच समझकर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है। उम्मीदवारों के नाम से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव में दलों के निशाने पर किस समाज का मतदाता है।
42 सीटों में 19 यादव, 3 पर मुस्लिम
वैसे तो महागठबंधन (Mahagathbandhan) की अगुआ पार्टी आरजेडी (RJD) पिछड़े और अतिपिछड़े लोगों की राजनीति का दावा करती है, लेकिन उम्मीदवारों की लिस्ट से दूसरी कहानी सामने आ रही है। अति पिछड़ा वोटबैंक में भी पार्टी का मूल आधार यादव (Yadav) वोट हैं। इसके अलावा बिहार में मुस्लिमों (Muslim) के वोट पर भी आरजेडी का दावा है। पहली लिस्ट में दोनों समुदाय का दबदबा देखा जा सकता है।
RJD ने 41 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया है। इसमें से 19 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने यादवों को उम्मीदवार बनाया है, जबकि दो पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे गए हैं। यादवों के बाद 8 सीटों पर एससी/एसटी उम्मीदवारों को उतारा गया है। कोइरी समाज के तीन प्रत्याशी उतारे गए हैं। बाकी जगहों पर अन्य समाज को भी दावेदारी दी गई है। इसमें सवर्ण भी शामिल हैं।
सवर्णों के सहारे बीजेपी
बीजेपी (bjp) के उम्मीदवारों पर गौर करें तो पार्टी ने सवर्णों पर सबसे ज्यादा भरोसा किया है। पहली लिस्ट में 60 प्रतिशत उम्मीदवार सवर्ण हैं। 27 की पहली लिस्ट में सबसे ज्यादा 16 सीटों पर ठाकुर, भूमिहार, ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। इसमें से सबसे ज्यादा 7 पर राजपूत, 6 पर भूमिहार और 3 सीटें ब्राह्मणों को मिली है। पार्टी ने अन्य समाज को प्रतिनिधित्व देने के साथ ही साथ तीन यादव चेहरों को भी मैदान में उतारा है।