बिहार में RLSP-BSP के साथ ओवैसी, कुशवाहा का दावा- AIMIM चीफ चुनाव में अब हमारे साथ

नए गठबंधन में जाने को लेकर ओवैसी और एआईएमआईएम की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है। इससे पहले पूर्व सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता दल (डी) के साथ ओवैसी के संयुक्त जनतांत्रिक सेकुलर गठबंधन में शामिल होने की चर्चा थी। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 7, 2020 6:37 AM IST

पटना। बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Mahagathbandhan) के अलावा भी कई मोर्चे बने हैं। इसमें से एक उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) का भी मोर्चा है। महागठबंधन से अलग होने के बाद आरएलएसपी (RLSP) चीफ कुशवाहा ने मायावती (Mayawati) की बीएसपी (BSP) और जनवादी पार्टी के साथ बिहार में मोर्चा बनाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के सामने मजबूत विकल्प देने की बात करने वाले कुशवाहा ने दावा किया कि उनके गठबंधन में अभी कई और दल शामिल होंगे। बातचीत जारी है। कुशवाहा का गठबंधन आज ही प्रत्‍याशियों की लिस्ट जारी कर सकता है। 

कुशवाहा के मोर्चे में अब सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के शामिल होने की चर्चा है। मंगलवार को कुशवाहा ने दावा किया- एआईएमआईएम हमारे गठबंधन के साथ जुड़ गई है। हम अगले दो-चार दिनों में गठबंधन के नाम और दूसरी जानकारियां साझा करेंगे।

हालांकि नए गठबंधन में जाने को लेकर ओवैसी और एआईएमआईएम की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है। इससे पहले पूर्व सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता दल (डी) के साथ ओवैसी के संयुक्त जनतांत्रिक सेकुलर गठबंधन में शामिल होने की चर्चा थी। उनके पप्पू यादव (Pappu Yadav) के गठबंधन में भी जाने की चर्चा थी। 

वोट कटवा बताने पर भड़के ओवैसी 
ओवैसी ने जरिए बिहार में वोटकटवा बताए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। एक ट्वीट में ओवैसी ने लिखा- "वोट कटुआ कौन है? वही जिसने आपका वोट लिया जरूर था, लेकिन मरहूम मौलाना कासमी को ट्रिपल तलाक बिल पर बोलने की इजाजत नहीं दी। वही जिसने 'वोट कटवों' के डर से नितीश को जितवा दिया, और नितीश जा कर मोदी के गोद में बैठ गया।"

ओवैसी ने यह भी लिखा- "अगर आप भी कांग्रेस और राजद की गुलामी से तंग हैं तो हमारा साथ दीजिए। अपना वोट जाया जाने न दें। मजलिस आपके मुद्दों को पूरी बेबाकी और ईमानदारी से उठाएगी। हम कभी जालिम से समझौता नहीं करेंगे। मजलिस में बुजदिली की कोई जगह नहीं है।" एआईएमआईएम ने बिहार में खाता खोल दिया है। 2015 के चुनाव में पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली थी मगर सीमांचल में कांगेस विधायक की मौत के बाद हुए उपचुनाव में एआईएमआईएम ने जीत हासिल के थी। 

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