नीतीश की घोषणा के बाद बिहार की राजनीति में हड़कंप मच गया। तरह-तरह के मायने निकाले जाने लगे। विपक्ष ने इसे नीतीश की ओर से निराशा में की गई घोषणा करार दिया। अब जेडीयू ने मुख्यमंत्री के बयान पर सफाई दी है।
पटना। बिहार चुनाव के लिए कैम्पेन के आखिरी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी की ये उनका अंतिम चुनाव है। नीतीश की घोषणा के बाद बिहार की राजनीति में हड़कंप मच गया। तरह-तरह के मायने निकाले जाने लगे। विपक्ष ने इसे नीतीश की ओर से निराशा में की गई घोषणा करार दिया। अब जेडीयू ने मुख्यमंत्री के बयान पर सफाई दी है।
जेडीयू ने कहा कि नीतीश के बयान का आशय "राजनीति से संन्यास" लेना नहीं है। एक दिन पहले पूर्णिया के धमदाहा रैली में जनसभा के आखिर में नीतीश ने कहा था- "यह मेरा अंतिम चुनाव प्रचार है। यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।" नीतीश की इसी घोषणा को उनके राजनीति से संन्यास के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि राजनीति के कई जानकार अहम फेज में चुनाव के लिए इसे मुख्यमंत्री का मास्टरस्ट्रोक भी करार दे रहे हैं।
तेजस्वी-चिराग ने कसा था तंज
नीतीश की घोषणा पर एलजेपी चीफ चिराग पासवान और महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने तंज़ कसा था। तेजस्वी ने एक ट्वीट में कहा- "आदरणीय नीतीश जी बिहारवासियों की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं के साथ-साथ जमीनी हकीकत भी स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। हम शुरू से कहते आ रहे है कि वो पूर्णत: थक चुके हैं और आज आखिरकार उन्होंने अंतिम चरण से पहले हार मानकर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर हमारी बात पर मुहर लगा दी।"
वहीं चिराग पासवान ने ट्वीट में कहा- "साहब ने कहा है कि यह उनका आखिरी चुनाव है। इस बार पिछले 5 साल का हिसाब दिया नहीं और अभी से बता दिया कि अगली बार हिसाब देने आएंगे नहीं। अपना अधिकार उनको ना दें जो कल आपका आशीर्वाद फिर मांगने नहीं आएंगे। अगले चुनाव में ना साहब रहेंगे ना जेडीयू। फिर हिसाब किससे लेंगे हम लोग?"
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