
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीटों का बंटवारा लगभग तय कर लिया गया है। अभी तक की जानकारी के आधार पर यह निश्चित लग रहा है कि जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी के साथ हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा (हम) भी चुनाव लड़ेगी। हम चीफ जीतनराम मांझी गुरुवार को एनडीए में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा करेंगे।
चर्चाओं के मुताबिक एनडीए में हम को 9 सीटें दी जाएंगी। हालांकि ये साफ नहीं है कि ये 9 सीटें एनडीए में तीनों सहयोगियों के कोटे से दी जाएगी या अकेले जेडीयू के कोटे से। इस बार नीतीश मांझी को एनडीए में लेकर आए हैं। इससे पहले यह खबर थी कि 243 विधानसभा सीटों के लिए एनडीए में 110,100, 33 के फॉर्मूले पर सीटों का बंटवारा होगा। जेडीयू के खाते में सबसे ज्यादा सीटें होंगी जबकि एलजेपी के खाते में सबसे कम। एलजेपी ने 40 से ज्यादा सीटों की मांग करते हुए सार्वजनिक नाराजगी भी जाहिर की थी। ऐसे में एलजेपी शायद ही 33 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी हो।
तो जेडीयू के खाते से मांझी को मिलेंगी सीटें
उम्मीद यही है कि नीतीश की जेडीयू केई कोटे से ही पूर्व मुख्यमंत्री मांझी को सीटें दी जाएगी। वैसे मांझी 12 विधानसभा सीटों या 9 विधानसभा सीटों के साथ एमएलसी की एक सीट नीतीश से मांग रहे थे। लेकिन जेडीयू सिर्फ 9 सीट देने पर राजी बताया गया। सितंबर महीने के दूसरे हफ्ते के बाद एनडीए सीटों की शेयरिंग फॉर्मूले को अनाउंस कर सकता है।
(तेजस्वी और तेजप्रताप यादव)
क्या महागठबंधन में नहीं बन पा रही बात?
उधर, महागठबंधन में सीटों की शेयरिंग को लेकर अभी तक अटकलों का दौर जारी है। महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस के अलावा इस बार मुकेश साहनी की वीआईपी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी शामिल हैं। सीपीआई (एमएल) समेत वामपंथी पार्टियों के भी शामिल होने की बात सामने आ रही है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस और आरजेडी नेता वीआईपी और आरएलएसपी को बहुत ज्यादा तवज्जो देते नहीं दिख रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा सार्वजनिक टिप्पणियां भी कर चुके हैं। इससे पहले सीट शेयरिंग के मसले पर लालू यादव से उनकी मीटिंग की भी खबरें आ चुकी हैं।
सबसे ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है आरजेडी
महागठबंधन की अगुआ पार्टी आरजेडी इस बार करीब 150 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। बाकी सीटें सहयोगियों को देना चाहती है। मगर कांग्रेस समेत दूसरे दल भी महागठबंधन में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे। वामपंथी पार्टियों के आ जाने के बाद ये मामला थोड़ा मुश्किल हो गया है। हालांकि महागठबंधन के नेता लगातार इस सिलसिले में बात कर रहे हैं और जल्द ही कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश में हैं।
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