JNU के एक्स प्रेसिडेंट कन्‍हैया के चुनाव लड़ने पर थी चर्चा, उम्मीदवारों की लिस्ट में नहीं शामिल है नाम

पहले चर्चा थी कि जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भी विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। लेकिन लिस्ट में उनका नाम नहीं है। इससे साफ़ हो गया कि बिहार चुनाव में कन्हैया को लेकर विपक्ष की योजना कुछ और है। 

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Polls 2020) के लिए राज्य के दो बड़े गठबंधनों की तस्वीर साफ होने के बाद अब सहयोगी दल अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रहे हैं। 243 विधानसभा सीटों में से पहले फेज के लिए नामांकन की प्रक्रिया 1 अक्तूबर को ही शुरू हो चुकी है। महागठबंधन (Mahagathbandhan) में शामिल तीन वामदलों के खाते में 29 सीटें हैं। वामदलों ने प्रत्‍याशियों की पहली सूची जारी कर दी। पहली सूची में 10 उम्मीदवारों के नाम हैं। पहले चर्चा थी कि जेएनयू छात्रसंघ (JNU SU) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को भी विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। लेकिन लिस्ट में उनका नाम नहीं है। इससे साफ़ हो गया कि बिहार चुनाव में कन्हैया को लेकर विपक्ष की योजना कुछ और है। 

कन्हैया कुमार ने 2019 का लोकसभा चुनाव बेगूसराय से लड़ा था। उस वक्त आरजेडी-कांग्रेस (RJD-CONGRESS) के साथ वामदलों का गठबंधन नहीं हो पाया था। त्रिकोणीय लड़ाई में फंसे कन्हैया केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) से बुरी तरह से चुनाव हार गए थे। गिरिराज को 6.88 लाख जबकि दूसरे नंबर पर रहे कन्हैया को सिर्फ 2.68 लाख वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर आरजेडी उम्मीदवार तनवीर हसन (Tanveer Hasan) को 1.97 लाख वोट मिले थे। हालांकि चुनाव के दौरान केंद्रीय मुद्दों पर केंद्र सरकार को लेकर उठाए गए सवालों की वजह से कन्हैया ने सभी का ध्यान खींचा था। 

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महागठबंधन के लिए कन्हैया क्यों बड़ा चेहरा?
इस बार बिहार में विपक्ष युवा नेतृत्व, बेरोजगारी और कृषि बिल का मुद्दा प्रमुखता से उठा रहा है। माना जा रहा है कि तेजस्वी-तेजप्रताप-राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ कन्हैया कुमार की चौकड़ी महागठबंधन में युवा मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान भी है। महागठबंधन की योजना तेजस्वी के जरिए नीतीश को घेरने की है। जबकि कृषि बिल, सीमा सुरक्षा, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था के मुद्दों को लेकर कन्हैया और राहुल गांधी के जरिए केंद्र सरकार को घेरने की योजना बनाई जा रही है। महागठबंधन के स्टार प्रचारकों में कन्हैया के शामिल होने की पूरी उम्मीद है। चुनाव में उनके चेहरे का पूरा इस्तेमाल किया जाएगा। नागरिकता कानून के मसले पर उन्होंने बिहार के कई इलाकों में यात्राएं और जनसभा की थी। उन्हें काफी समर्थन भी मिला था। युवाओं के बीच उनकी एक अपील दिख चुकी है। 

वामदलों ने कहां से उतारे उम्मीदवार? 
महागठबंधन में आरजेडी कांग्रेस के अलावा सीपीएम, सीपीआई और सीपीआई एमएल शामिल हैं। सीपीआई और सीपीएम को 10 जबकि सीपीआई एमएल की 19 सीटें मिली हैं। वामदलों की पहली लिस्ट में 10 नाम सामने आए हैं। ये सूची सीपीआई और सीपीएम की है। अभी सीपीआई एमएल ने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है। आज शाम तक उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिए जाने की उम्मीद है। सीपीआई ने बखरी (बेगूसराय), तेघड़ा (बेगूसराय), बछवाड़ा (बेगूसराय), हरलाखी (मधुबनी), झंझारपुर (मधुबनी) और रूपौली (पूर्णिया) से उम्मीदवार उतारा है। जबकि सीपीएम ने विभूतिपुर (समस्तीपुर), मांझी (सारण), मटिहानी (बेगूसराय), पीपरा (पूर्वी चंपारण) से जारी की है। 

क्या तेजस्वी के साथ मंच साझा करेंगे कन्हैया 
हालांकि कन्हैया तेजस्वी (Tejaswi Yadav) के साथ मंच साझा करेंगे या नहीं इसे लेकर संशय है। दरअसल, बिहार में विपक्ष की ओर से कन्हैया को हमेशा तेजस्वी के आगे एक चुनौती के रूप में देखा गया है। कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में इसीलिए आरजेडी ने बेगूसराय में जेएनयू के पूर्व प्रेसिडेंट का समर्थन नहीं किया। जबकि चुनाव से पहले तक उन्हें समर्थन देने की चर्चा थी। इस चुनाव में भी तेजस्वी और कन्हैया के मंच साझा करने को लेकर सस्पेंस है। देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन बिहार में दोनों नेताओं का कैसे इस्तेमाल करता है।

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