एक वोट की कीमत: चुनाव में बिहारी अस्मिता का शोर, यहां एक-एक वोट की जंग में खारिज हो गई बात

2015 में यहां एनडीए के सामने सीधी लड़ाई में बसपा उम्मीदवार मोहम्मद जमा खान थे। बीजेपी की ओर से मैदान में सीटिंग एमएलए बृजकिशोर बिन्द थे। महागठबंधन के खाते में ये सीट जेडीयू के पास थी। 
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 14, 2020 12:34 PM IST / Updated: Oct 15 2020, 10:13 AM IST

पटना/नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार की चैनपुर विधानसभा सीट पर भी दिलचस्प जंग देखने को मिली थी। हालांकि यहां का चुनावी गणित राज्य से बिल्कुल अलग था। बिहार में पिछले दो दशक से दो गठबंधनों के बीच सीधी लड़ाई होती रही है। 2015 में भी पूरे राज्य में आरजेडी-जेडीयू के महागठबंधन और एनडीए के बीच हर सीट पर वोटों की जद्दोजहद दिखी थी। मगर चैनपुर में एनडीए के सामने सीधी लड़ाई में बसपा उम्मीदवार मोहम्मद जमा खान थे। बीजेपी की ओर से मैदान में सीटिंग एमएलए बृजकिशोर बिन्द थे। महागठबंधन के खाते में ये सीट जेडीयू के पास थी। 

लगातार जीत रही है बीजेपी 
बीजेपी ने पहली बार 1980 में ये सीट जीती थी। 10 साल बाद 1990 में दूसरी बार कामयाबी मिली। इसके बाद 2009 के उपचुनाव में बीजेपी के बृजकिशोर बिन्द ने पहली बार यहां जीत दर्ज की थी। अतीत में दो बार चैनपुर सीट जीतने वाली बसपा के इरादे 2015 में काफी मजबूत थे। एनडीए से जेडीयू के अलग हो जाने के बाद बृजकिशोर बिन्द के सामने काफी मुश्किलें थी। एनडीए-बसपा और महागठबंधन उम्मीदवार के बीच त्रिकोण बन गया था। 

तीसरे नंबर पर महागठबंधन 
ये त्रिकोण नतीजों में भी नजर आया और एक-एक वोट कीमती हो गए। मतगणना खत्म होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार किसी तरह 671 वोटों से अपनी सीट बचाने में कमायाब रहे। बीजेपी उम्मीदवार को 58,913 वोट मिले थे। चैनपुर के नतीजों में हैरान करने वाली बात ये थी कि दूसरे नंबर पर बसपा उम्मीदवार थे। बसपा उम्मीदवार को 58,242 वोट मिले। जेडीयू उम्मीदवार महाबली को 30,287 वोट मिले। सबसे मजेदार बात ये है कि लालू-नीतीश ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव को बिहार की अस्मिता से जोड़ दिया था। मगर चैनपुर में ये बिल्कुल बेअसर दिखा। 

सपा ने भी लिए 10 हजार से ज्यादा वोट 
चौथे नंबर पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 12,802 वोट मिले। बताते चलें कि 2010 के चुनाव में भी यहां दूसरे नंबर पर बसपा का ही उम्मीदवार था। बिहार की इस सीट पर लालू यादव और नीतीश कुमार के गठजोड़ का कोई असर नहीं दिखा। एक बार फिर साबित हुआ कि चुनाव में मतदाता ही सबकुछ हैं। बसपा उम्मीदवार कुछ और वोट हासिल कर लेता तो लालू-नीतीश की आंधी में चैनपुर के नतीजे शायद ज्यादा ऐतिहासिक हो जाते। 

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