आखिरी मौके पर NDA को दिया गच्चा, LJP का बिहार फॉर्मूला पुराना; चिराग पासवान का असली मकसद है ये

नीतीश से नाराजगी के बीच बार-बार पीएम मोदी के काम की तारीफ करने वाले चिराग ने पहले ही 143 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। उन्होंने कई मौकों पर इशारों में कहा भी था कि जहां बीजेपी के उम्मीदवार होंगे उन सीटों पर एलजेपी नहीं लड़ेगी।

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2020 6:33 AM IST / Updated: Oct 05 2020, 12:57 PM IST

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Polls) से पहले ही एलजेपी (LJP) की अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ एनडीए का मजबूत कुनबा बिखर चुका है। वजह एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) के बीच मनमुटाव रहा। आखिरी वक्त तक बीजेपी (BJP) ने एनडीए को संभालने की कोशिश की। अमित शाह (Amit Shah) भी मैदान में आए। मगर ना तो एलजेपी चीफ और ना ही नीतीश अपनी शर्तों से पीछे हटने को तैयार हुए। आखिर में चिराग ने वही किया जिसकी योजना वो पिछले दो महीने से बनाकर चल रहे थे। हालांकि एलजेपी का ये हथकंडा नया नहीं तीन साल पुराना है। 

नीतीश के रवैये और एनडीए (NDA) में जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) के आगमन को एलजेपी ने बहुत गंभीरता से लिया था। मांझी भी राज्य में महादलित मतों की राजनीति करते हैं। एनडीए में उनके आने को एलजेपी ने अस्तित्व की लड़ाई बना लिया। नीतीश से नाराजगी के बीच बार-बार पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के काम की तारीफ करने वाले चिराग पासवान ने पहले ही 143 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। उन्होंने कई मौकों पर इशारों में कहा भी था कि जहां बीजेपी के उम्मीदवार होंगे उन सीटों पर एलजेपी नहीं लड़ेगी। 

बार-बार मोदी का गुणगान कर रहे चिराग 
एनडीए से बाहर जाने की घोषणा करते हुए उन्होंने फिर दोहराया कि वो पीएम मोदी के काम और बिहार फ़र्स्ट के तहत चुनाव में उतरेंगे और बाद में बीजेपी के साथ सरकार बनाएंगे। जेडीयू और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के उम्मीदवार जहां-जहा होंगे वहां प्रत्याशी उतारेंगे। बिहार से पहले उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर (Manipur) में भी एलजेपी ने इसी फॉर्मूले पर चुनाव लड़ा था। साफ है कि बिहार चुनाव में चिराग के निशाने पर नीतीश होंगे। चिराग, जेडीयू (JDU) मुख्यमंत्री के खिलाफ बने सत्ता विरोधी लहर को भुनाने की कोशिश में हैं। चिराग की कोशिश है कि 25 से 35 विधायकों के जीतने की स्थिति में सत्ता की चाभी उनके पास ही होगी। और तब बिहार एनडीए में उनकी भूमिका ज्यादा दमदार होगी। 

तीन साल पहले मणिपुर में हुआ था ऐसा 
2017 में मणिपुर विधानसभा में भी बीजेपी के साथ एलजेपी का समझौता नहीं हो पाया था। तब 60 विधानसभा सीटों वाले राज्य में एलजेपी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था। बीजेपी ने 21 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस (Congress) ने सबसे ज्यादा 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि चुनाव में एलजेपी को सिर्फ एक सीट मिली। लेकिन बाद में राज्य में बीजेपी ने मिली जुली सरकार बनाई और उसमें एलजेपी भी शामिल हो गई। 

बिहार में कब जारी करेंगे उम्मीदवार 
143 सीटों पर अलग लड़ने की घोषणा के बाद चिराग पासवान की नजर एनडीए में नीतीश कुमार की सीटों पर हैं। एनडीए में सीटों पर सहयोगी दलों के दावों के साफ हो जाने के बाद एलजेपी प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर देगी। एलजेपी प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने कहा भी है कि एक दो दिन में पहले चरण के उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। 

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