
पटना। विधानसभा चुनाव से पहले एलजेपी और जेडीयू का झगड़ा बीजेपी की मध्यस्थता के बाद थमता दिख रहा है। हालांकि अभी भी एनडीए में अपनी भूमिका को लेकर एलजेपी नेता चिराग पासवान बहुत संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। इसके संकेत पार्टी के उस रुख से भी मिल रहा है जिसमें एलजेपी का घोषणापत्र एनडीए से अलग बनाए जाने की चर्चा है। पार्टी चार बड़े मुद्दों को घोषणापत्र में जगह देगी जो चिराग की भविष्य की राजनीति के मद्देनजर तैयार किए गए लगते हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले चिराग खुद को लगातार अहम नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं। नीतीश के बाद पिछड़ा और दलित नेता के रूप में वो बार-बार अपनी दावेदारी का इजहार कर रहे हैं। इसी मकसद से वो एक बड़े मतदाता समूह को फोकस कर रहे हैं। "बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट" का मुद्दा उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है। याद रखना चाहिए कि एलजेपी का आधार महादलित वोट बैंक है। मगर चिराग की नजर उससे भी कहीं आगे दिखती हैं। लेकिन नीतीश कुमार उनकी इस कोशिश से नाराज दिखते हैं और उन्हें न तो ज्यादा सीटें देने को तैयार है उल्टा उनपर अंकुश लगाने के लिए महादलित नेता जीतनराम मांझी को तोड़कर एनडीए में लेकर आए हैं।
चिराग के चार बड़े मुद्दे क्या हैं?
सूत्रों के मुताबिक चिराग बिहार फर्स्ट के अलावा एलजेपी के घोषणापत्र में बिहारी फ़र्स्ट के अलावा तीन और बड़े मुद्दों को इसी मकसद से जगह दी जा रही है। ये हैं- राष्ट्रीय युवा आयोग गठित करना, शिक्षकों के लिए समान कार्य समान वेतन का अधिकार और बिहार के हर जिले में लड़कियों के लिए कॉलेजों का निर्माण करवाना है। ये मुद्दे महादलित वर्ग के अलावा समाज के दूसरे वर्ग को भी प्रभावित करने वाले माने जा रहे हैं।
तेजस्वी को याद दिलाई औकात
उधर, राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से कथित बेरोजगारी की समस्या को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के अभियान के फ्लॉप होने को लेकर एक मंत्री ने विवादित बयान दिया है। तेजस्वी ने 9 सितंबर को रात 9 बजे, 9 मिनट के लिए बेरोजगारी के खिलाफ दिया जलाने की अपील की थी। बिहार के मंत्री नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा, "नौवीं फेल तेजस्वी की राजनीतिक नौटंकी फेल हो गई। जब कार्यक्रम हुआ राज्य में 5573 मेगावाट बिजली खपत में थी लेकिन कार्यक्रम खत्म होने के साथ यह 5517 मेगावाट थी। खपत में सिर्फ एक प्रतिशत की कमी आई। आपको राजनीति में अपनी औकात का एहसास हो गया होगा। बिहार की जनता पर आपकी बातें बेअसर हैं।
मोदी की अपील पर 55% की कमी आई थी, तेजस्वी फेल
नीरज कुमार के दावे की मानें तो लॉकडाउन में कोरोना वारियर्स का हौंसला बढ़ाने के लिए लिए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम को दिए जलाने का आह्वान किया था, बिहार समेत पूरे देश ने इसे सपोर्ट किया था। नीरज कुमार ने दावा किया कि प्रधानमंत्री के संकल्प पर जब शाम को कार्यक्रम शुरू हुआ था तब राज्य में बिजली की खपत 3828 मेगावाट थी। समाप्त होने तक यह 1699 मेगावाट पहुंच गई। यानी प्रधानमंत्री की बात लोगों ने गंभीरता से मानी और उनकी अपील की वजह से बिजली खपत में 55 प्रतिशत की कमी आई।
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