मधुबनी विधानसभा का मुश्किल चुनाव, 10 साल पहले सिर्फ 588 वोटों से BJP ने RJD को दी थी पटखनी

मधुबनी जिला भी है और लोकसभा के साथ ही विधानसभा सीट भी है। मिथिलांचल की इस विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास को खंगाले तो 2010 में यहां एक-एक वोट के लिए दिलचस्प मुक़ाबला हुआ था। 

मधुबनी/पटना। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

मधुबनी बिहार समेत पूरी दुनिया में अपनी लोक कलाकारी के लिए मशहूर है। मधुबनी जिला भी है और लोकसभा के साथ ही विधानसभा सीट भी है। मिथिलांचल की इस विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास को खंगाले तो 2010 में यहां एक-एक वोट के लिए दिलचस्प मुक़ाबला हुआ था। 2010 का चुनाव बिहार में कई मायनों में महत्वपूर्ण था। दरअसल, 15 साल राज करने वाले लालू यादव को जेडीयू-बीजेपी ने सत्ता से बाहर कर पांच साल सरकार चलाई थी। चुनाव में जेडीयू-बीजेपी सरकार का पहला पांच साल कसौटी पर था। आरजेडी भी किसी तरह वापसी की कोशिश में थी। 

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आरजेडी-बीजेपी में थी सीधी लड़ाई 
उस चुनाव में मधुबनी विधानसभा सीट बीजेपी के हिस्से में थी। पार्टी ने यहां से रामदेव महतो को उम्मीदवार बनाया था। जबकि आरजेडी ने नैयर आजम को, कांग्रेस ने किशोर कुमार को प्रत्याशी बनाया था। कई निर्दलीय भी मैदान में थे जिसमें मोहम्मद अब्दुल्ला अहम थे। मधुबनी में बीजेपी और आरजेडी ने पूरी ताकत झोक दी थी। इसके लिए मिथिलांचल की इस सीट पर दोनों दलों की ओर से कई दिग्गज नेता भी यहां प्रचार करने आए थे। 

 

मुश्किल संघर्ष में जीती बीजेपी 
बताने की जरूरत नहीं कि दोनों पार्टियों ने अपनी क्षमता के अनुसार ही कैम्पेन में मेहनत की। मतगणना शुरू होते ही यह साफ हो गया कि यहां आरजेडी-बीजेपी में सीधी लड़ाई है। बाकी अन्य उम्मीदवार महज जमानत बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। मतगणना की शुरुआत से ही बीजेपी-आरजेडी प्रत्याशियों में फासला बहुत कम नजर आ रहा था। बढ़त ऐसी नहीं थी कि किसी उम्मीदवार के बारे में पुख्ता अनुमान लगाए जा सकें। यह तस्वीर आखिरी राउंड तक बनी रही। अंत में जब मतगणना खत्म हुई बीजेपी उम्मीदवार रामदेव महतो मुश्किल संघर्ष में किसी तरह जीत गए। 

ज्यादातर प्रत्याशियों ने गंवा दी जमानत 
बीजेपी के रामदेव महतो ने 44,817 वोट हासिल किए और सिर्फ 588 मतों से जीत हासिल की। आरजेडी उम्मीदवार नैयर आजम को 44,229 वोट मिले। 10,291 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर कांग्रेस के प्रत्याशी रहे। जबकि निर्दलीय मोहम्मद अब्दुल्ला को 6,046 मत मिले। 2010 में यहां कुल 16 उम्मीदवार मैदान में थे, ज़्यादातर ने अपनी जमानत भी गंवा दी। हालांकि 2015 के चुनाव में जेडीयू का साथ मिलने के बाद आरजेडी ने मधुबनी सीट बड़े अंतर से जीत ली। 2010 के मधुबनी के चुनाव में नेताओं को जनता के वोट की ताकत पता चली और एक-एक वोट की अहमियत समझ में आई। 

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