आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि कांग्रेस ने 70 प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन 70 रैलियां भी नहीं कीं। राहुल गांधी केवल तीन दिन आए। प्रियंका गांधी तो आईं ही नहीं। जो बिहार के बारे में जानते नहीं थे, वे बिहार भेजे गए। यह सही नहीं था।
पटना (Bihar) । बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में मिली हार के बाद महागठबंधन में वार-पलटवार के सुर उठने लगे हैं। महागठबंधन (Mahagathbandhan) के सहयोगी कांग्रेस (Congress) के खराब प्रदर्शन को लेकर आरजेडी और कांग्रेस आपस में उलझ गए हैं। वे हार के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहा हैं। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने सीधे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी को घेरे में लिया है। कहा है कि बिहार में चुनाव के वक्त राहुल गांधी बहन प्रियंका के घर शिमला में पिकनिक मना रहे थे। वहीं, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने भी कहा है कि महागठबंधन की सरकार नहीं बनने का दोष कांग्रेस के सिर मढ़ना उचित नहीं है। साल 2000, 2005 और 2010 में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं था, तब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को पूर्ण बहुमत क्यों नहीं आया? बता दें कि इसके पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले (CPI ML), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) तक ने कांग्रेस को निशाने पर लिया था।
राहुल गांधी पर लगाया ये आरोप
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि कांग्रेस ने 70 प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन 70 रैलियां भी नहीं कीं। राहुल गांधी केवल तीन दिन आए। प्रियंका गांधी तो आईं ही नहीं। जो बिहार के बारे में जानते नहीं थे, वे बिहार भेजे गए। यह सही नहीं था।
कांग्रेस के कारण बीजेपी को मिल रही मदद-शिवानंद
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव के वक्त राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के घर शिमला में पिकनिक मना रहे थे। कांग्रेस जिस तरह से अपना कारोबार चला रही है, उससे भारतीय जनता पार्टी को मदद मिल रही है।
कांग्रेस ने दी ये सलाह
बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने रविवार को तीन अलग-अलग ट्वीट (Tweet) किए। जिसमें उन्होंने कांग्रेस के प्रदर्शन पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया। साथ ही सहयोगी दल आरजेडी को सलाह देते हुए कहा कि महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाने के लिए कांग्रेस, अन्य पार्टी या जाति पर ठीकरा फोड़ने की बजाय आत्ममंथन करना चाहिए और भविष्य में राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसी रणनीति को बदलकर बहुजन समाज की बजाय सर्व समाज की राजनीति करनी चाहिए।