बिहार चुनाव का तीसरा फेज: गणित NDA के पक्ष में, ओवैसी चूर कर सकते हैं तेजस्वी यादव का सपना

बिहार चुनाव के तीसरे चरण में 2, 35,54, 071 मतदाता कुल 1208 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इनमें 110 महिला प्रत्याशी भी हैं। 78 में से सबसे ज्यादा 46 सीटों पर लालू यादव की आरजेडी ने उम्मीदवार उतारे हैं। 

पटना। बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरण के मतदान के तहत कल यानी 7 नवंबर को लास्ट फेज की वोटिंग है। तीसरे फेज में 15 जिलों की कुल 78 विधानसभा सीटों के साथ वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव होगा। एनडीए-महागठबंधन समेत  5 गठबंधन और करीब दो दर्जन अहम पार्टियां चुनाव में शामिल हो रही हैं। कोरोना महामारी के बीच सुरक्षित और शांतिपूर्ण मतदान के लिए चुनाव आयोग ने व्यापक तैयारियां की हैं। तीसरे चरण में 2, 35,54, 071 मतदाता हैं। इनमें 1 करोड़  23 लाख से ज्यादा पुरुष और 1 करोड़ 12 हजार से ज्यादा महिलाएं हैं। 894 थर्ड जेंडर मतदाता भी इसमें शामिल हैं। 

तीसरे फेज के के लिए 33,782 बूथ बनाए गए हैं जहां 45,953 ईवीएम का इस्तेमाल होगा। सहरसा में सबसे ज्यादा और हायाघाट में सबसे कम मतदाता हैं। सबसे ज्यादा 31 उम्मीदवार गायघाट विधानसभा में हैं। आयोग ने बूथों पर कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक तैयारियां की हैं। वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट के उपचुनाव में 7 प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां 2478 बूथ पर 17 लाख से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। तीसरे फेज में वाल्मीकिनगर, रामनगर (सु), सिमरी बख्तियारपुर और महिषी में मतदान सुबह 7 बजे से दोपहर 4 बजे तक होगा। अन्य जगह शाम तक वोट डाले जाएंगे।  

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8 मंत्रियो की प्रतिष्ठा दांव पर, पप्पू यादव और लवली आनंद भी मैदान में 
तीसरे फेज की 78 विधानसभा सीटों पर कई दिग्गज चेहरे हैं। इनमें नीतीश कुमार की कैबिनेट के मंत्री, पार्टियों के अध्यक्ष, और नेताओं के बेटे-बेटी-रिश्तेदार शामिल हैं। जेडीयू के 8 मंत्री इस फेज में चुनाव लड़ रहे हैं। सुपौल से बीजेन्द्र प्रसाद यादव, बेनीपट्टी से विनोद नारायण झा, बहादुरपुर से मदन सहनी, मुजफ्फरपुर से सुरेश शर्मा, लौकहा से लक्षमेश्वर राय, रुपौली से बीमा भारती, आलमनगर से नरेंद्र नारायण यादव, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी, और सिंहेश्वर से रमेश ऋषिदेव शामिल हैं। अन्य दिग्गजों में केवटी से अब्दुल बारी सिद्दीकी, बिहारीगंज से कांग्रेस के टिकट पर शरद यादव की बेटी सुहाषिनी यादव, आरजेडी के टिकट पर सहरसा से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद, मधेपुरा से निखिल मंडल, अमोर से अखतरुल ईमान और मधेपुर से जनअधिकार पार्टी के चीफ राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव शामिल हैं। 

मैदान में आरजेडी के 46 कैंडिडेट  
तीसरे फेज में कुल 1208 उम्मीदवार मैदान में हैं इनमें 110 महिला प्रत्याशी हैं। महागठबंधन की ओर से 78 में से 46 पर आरजेडी, 25 पर कांग्रेस, 5 पर सीपीआई एमएल और 2 पर सीपीआई चुनाव लड़ रही है। इसी तरह NDA की ओर से 78 में से 37 सीटों पर जेडीयू, 35 पर बीजेपी, 5 पर विकासशील इंसान पार्टी, और एक सीट पर हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा एलजेपी के 42, बसपा के 19, आरएलएसपी और एआईएमआईएम का गठबंधन भी सभी 78 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। पप्पू यादव का गठबंधन और प्लूरल्स पार्टी भी कई सीटों पर मैदान में है। 

2015 में यहां सबसे आगे थे नीतीश कुमार 
2015 के नतीजों को देखें तो तीसरे फेज की 78 सीटों में से सबसे ज्यादा 24 जेडीयू ने जीती थी। आरजेडी ने 20 पर, बीजेपी ने 19, कांग्रेस ने 10 और 5 सीटें छोटे दलों ने जीती थी। हालांकि 2015 में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के बीच महागठबंधन बना था। इस बार जेडीयू, बीजेपी के साथ एनडीए में है। 
361 करोड़पति, सबसे टॉप पर आरएलएसपी उम्मीदवार  
एडीआर 1208 में से 1195 उम्मीवारों का विश्लेषण किया है। इसमें से 361 प्रत्याशी करोड़पति हैं। सबसे अमीर उम्मीदवार की बात करें तो वारिसनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बीके सिंह ने सबसे ज्यादा संपत्ति का खुलासा किया है। बीके सिंह 85 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी के मालिक हैं। मोतिहारी से आरजेडी प्रत्याशी ओमप्रकाश चौधरी 45 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे और दरभंगा से कांग्रेस प्रत्याशी शंकरकुमार झा 32 करोड़ की संपत्ति के साथ तीसरे नंबर पर हैं। 

दागी प्रत्याशियों की भरमार, 5 पर बलात्कार के मामले 
तीसरे फेज में भी सभी पार्टियों ने दागी छवि वाले उम्मीदवारों को दिल खोलकर टिकट दिया है। एडीआर ने कुल 1208 में से 1195 उम्मीवारों के विश्लेषण में पाया कि 282 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनपर हत्या, जान लेने का प्रयास, लूट, रंगदारी जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। 37 के खिलाफ महिलाओं पर हिंसा के मामले और इनमें 5 पर तो बलात्कार के मामले दर्ज हैं। तीसरे फेज में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार सबसे ज्यादा दागी हैं। इसके बाद आरजेडी ने सबसे ज्यादा दागी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।

विकास के लिए आयोग बनाने की घोषणा, मोदी दिलाएंगे ग्लोबल पहचान  
महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, बाहुबल, बाढ़ और मूलभूत ढांचों का विकास बड़ा चुनावी मुद्दा है। सही पार्टियों ने इसी के आसपास घोषणाएं की हैं। बिहार का सर्वाधिक बाढ़ पीड़ित क्षेत्र कोसी इसी फेज में है। सीमांचल भी इसी फेज में है जहां गरीबी और अपराध बड़ा चुनावी मुद्दा है। महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने कहा है कि उनकी सरकार बनी तो वो कोसी और सीमांचल के विकास के लिए अलग से आयोग बनाएंगे। एनडीए की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी ने कोसी परियोजना, मत्स्य पालन, रोड-एयर कनेक्टिविटी, गैस ग्रिड और स्थानीय उद्योगों के विकास का मुद्दा उठाया है। मोदी ने आत्मनिर्भर नारे के साथ बिहार के इस इलाके के आधुनिक विकास और ग्लोबल दिलाने का मुद्दा उठाया है। 

धार्मिक-जातीय समीकरण किसके पक्ष में? 
एनडीए के लिहाज से तीसरा चरण काफी महत्वपूर्ण है। इस फेज की 78 में से 44 सीटें फिलहाल बीजेपी और जेडीयू के कब्जे में है। मजेदार यह है कि पिछली बार जेडीयू से अलग होने के बावजूद बीजेपी ने 19 सीटें जीत ली थीं। इस बार बीजेपी-जेडीयू के साथ होने से इस फेज में एनडीए ताकतवर है। तीसरे फेज में ब्राह्मण, मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक हैं। बीजेपी ने पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर, धारा 370, राममंदिर, तीन तलाक, लव जिहाद और हिन्दुत्व का मुद्दा उछाला है। पीएम मोदी, सीएम योगी, राजनाथ सिंह और गिरिराज सिंह ने इस इलाके में केंद्रीय मुद्दों पर एनडीए सरकार के काम के साथ ही राष्ट्रवाद के मुद्दे उठाए हैं। 

महागठबंधन को झटका दे सकते हैं ओवैसी 
मिथिलांचल ब्राह्मण बहुल इलाका है। बीजेपी यहां पहले से ही मजबूत रही है। जबकि सीमांचल मुस्लिम बहुत इलाका है जहां कई सीटों पर मुस्लिम सीधा फैसला कर सकते हैं। आरजेडी के नेतृत्व में महागठबंधन की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि ओवैसी की एआईएमआईएम सीमांचल की 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एआईएमआईएम यहां एक सीट जीत भी चुकी है। मुस्लिम लीग और एनसीपी के भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं। अगर मुस्लिम मत बंटे तो इस फेज में महागठबंधन को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। नीतीश के संन्यास की घोषणा भी तीसरे फेज में एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है। हालांकि जेडीयू कोटे की सीटों पर एलजेपी से एनडीए को नुकसान भी हो रहा है।

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