चर्चा है कि बिहार के मगध इलाके में भूमिहार और ब्राह्मण मतदाताओं में पकड़ रखने वाली राष्ट्रीय जन जन पार्टी को साथ ले सकते हैं। चिराग पासवान का भी इंतजार कर रहे हैं।
पटना। चुनाव से पहले ही महागठबंधन (Mahagathbandhan) से अलग होकर मायावती (Mayawati) की बीएसपी (BSP) और जनतांत्रिक पार्टी (सोशलिस्ट) के साथ बिहार में गठबंधन बनाने वाले आरएलएसपी चीफ उपेंद्र कुशवाहा (RLSP Chief Upendra Kushwaha) की नजरें राजनीतिक बदलाव की ओर हैं। इस क्रम में वो गठबंधन का आकार बढ़ाने के लिए और दलों को शामिल करने की कोशिश में लगे हैं। चर्चा है कि बिहार के मगध इलाके में भूमिहार और ब्राह्मण मतदाताओं में पकड़ रखने वाली राष्ट्रीय जन जन पार्टी (RJJP) को साथ ले सकते हैं। चिराग पासवान का भी इंतजार कर रहे हैं। कुशवाहा, एनडीए और महागठबंधन के बीच खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश में हैं।
उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कहा कि आरजेडी चीफ लालू यादव (RJD Chief Lalu Yadav) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भले ही अलग दिखते हैं लेकिन हकीकत में दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा- बिहार को अब नए विकल्प की जरूरत है। राज्य के लोग अब नीतीश के नेतृत्व में 15 सालों के कुशासन से मुक्ति चाहते हैं। महागठबंधन में भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा मजबूत नहीं है। लोग उनके पुराने शासन काल को भी अब तक भूले नहीं हैं।
महागठबंधन से इसलिए हुए बाहर
कुशवाहा पहले महागठबंधन में ही थे। लेकिन सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने की वजह से अलग हो गए। हालांकि अलग होते समय उन्होंने मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) का विरोध किया और खुद को चेहरा बनाने की मांग की। कुशवाहा ने कहा- नीतीश को हराने के लिए मजबूत चेहरे की जरूरत थी। लेकिन महागठबंधन में ऐसा नहीं हो सका। महागठबंधन में रहकर बुरी तरह से हारने से बेहतर है कि जनता के बीच जाकर एक मजबूत विकल्प दिया जाए।
वोट काटने नहीं, विकल्प देने आया हूं
कुशवाहा ने यह भी साफ किया कि उनका गठबंधन ना तो विपक्ष का वोट काटने आया है और ना ही किसी को सपोर्ट करने। हम विकल्प देने आए हैं। कुशवाहा ने यह भी कहा कि एनडीए से अलग होकर अगर एलजेपी (LJP) उनके साथ आ जाए तो वो राज्य में मजबूत विकल्प दे सकते हैं।