एक वोट की कीमत : बाहुबली पति जेल में, अपने ही गढ़ में सिर्फ 461 वोटों से किला हार गई थीं लवली आनंद

शिवहर बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) का गढ़ होने की वजह से राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है। 2015 के चुनाव में भी यहां के नतीजों पर सबकी नजर थी।

नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

2015 के चुनाव में बिहार की शिवहर विधानसभा (Sheohar Assembly) सीट पर हर वोट की कीमत समझ में आई थी। शिवहर बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) का गढ़ होने की वजह से राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है। चुनाव आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस के महागठबंधन (Mahagathbandhan) और एनडीए (NDA) के बीच था। एनडीए की सहयोगी हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के खाते में शिवहर सीट थी। जीतनराम मांझी (Jeetanram Manjhi) ने यहां से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद (Lovely Anand) को टिकट दिया था। महागठबंधन की ओर से जेडीयू (JDU) के सैफुद्दीन मैदान में थे। 

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एक समय बिहार का दिग्गज चेहरा थीं लवली आनंद 
बताने की जरूरत नहीं कि शिवहर में लवली आनंद का कद किस स्तर का है। एक जमाने में जब आनंद मोहन ने अपनी पार्टी बनाई उनकी पत्नी को सुनने के लिए रैलियों में बेतहाशा भीड़ जुटती थी। यहां तक कि 1995 के चुनाव में लालू यादव (Lalu Yadav) जैसे दिग्गज भी लवली आनंद के सामने फेल थे। 2015 में माना जा रहा था कि लंबे समय से चुनावी जीत का इंतजार कर रहे आनंद परिवार को शिवहर निराश नहीं करेगा। 

गढ़ में 461 वोटों से मिली हार 
लेकिन नतीजे लोगों की उम्मीदों से बिल्कुल अलग नजर आए। सैफुद्दीन ने लवली आनंद को कांटे की टक्कर दी। मतगणना खत्म होने तक सैफुद्दीन 44,576 वोट पाकर जीतने में कामयाब हुए। जबकि लवली आनंद को महज 44,115 वोट मिले। वो 461 मतों से अपने ही गढ़ में चुनाव हार चुकी थीं। किसी को इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार था जिसे 22 हजार से ज्यादा वोट मिले। 

याद रहेगा पुराना सबक 
वैसे इस बार लवली आनंद ने अपने बेटे के साथ आरजेडी का दामन थाम लिया है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए शिवहर की जंग में एक बार फिर आनंद परिवार होगा। आनंद परिवार को 2015 का सबक भी याद होगा। लवली के पति हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। 

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