हनुमान जी का भक्त है ये मुस्लिम लड़का, नई गाड़ी ली तो मंदिर में की पूजा; जो कहा वो भी पढ़ लीजिए

नए नागरिकता कानून के बाद एक तरफ पूरे देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर से बिहार के औरंगाबाद जिले से गंगा-जमुनी तहजीब को जिंदा रखने वाले एक घटना सामने आई है। यहां मुस्लिम युवक ने अपने नए ट्रैक्टर की पूजा हिंदू मंदिर में की।
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 7, 2020 8:22 AM IST / Updated: Jan 07 2020, 02:03 PM IST

औरंगाबाद। सीएए व एनआरसी को धार्मिक मुद्दा बताकर जहां देश में बवाल मचा हुआ है। वहीं अरवल जिले के लोदीपुर गांव का रहने वाला मुस्लिम फर्नीचर मिस्त्री ने अपने नए ट्रैक्टर को देवकुंड मंदिर में पूजा कर गंगा जमुनी तहजीब का मिशाल पेश किया। फर्नीचर मिस्त्री मो. अकरम आलम अरवल जिले के करपी थाना के लोदीपुर गांव का रहने वाला है। वह नया महेन्द्रा ट्रैक्टर खरीदा है। जिसका पूजा करने सोमवार को वह सूबे में प्रख्यात देवकुंड के बाबा दूधेश्वरनाथ मंदिर पहुंचा और पूरे हिंदू रिति रिवाज के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अपने ट्रैक्टर का पूजा कराया। यह देखकर वहां पर मौजूद लोग उसकी खूब तारीफ किए। 
ट्रैक्टर का पूजा कराते अकरम। 

इस सोच से भाईचारा बढ़ेगाः पुजारी
नारीयल फोड़ व प्रसाद चढ़ा ट्रैक्टर का किया पूजा| नए ट्रैक्टर का पूजा मो. अकरम आलम ने मंदिर के मुख्य पुजारी संजय गिरी के नेतृत्व में कराया। मंदिर के पुजारियों ने पूरे विधि-विधान से ट्रैक्टर का पूजा किया। इसके बाद मो. अकरम ने नारियल फोड़ा और ट्रैक्टर पर प्रसाद भी चढ़ाया। इसके बाद उसने आसपास के लोगों को प्रसाद भी वितरण किए। लोगों ने प्रसाद ग्रहण करने के बाद उसे शुभकामनाएं भी दी। मंदिर के पुजारी ने कहा कि पूजा विधिवत की गई और इस तरह के सोच से देश में भाईचारा बढ़ेगी। 

फर्नीचर मिस्त्री अकरम बोला-सब धर्म एक 
ट्रैक्टर मालिक मिस्त्री मो. अकरम आलम ने बताया कि वह वाजितपुर बाजार में फर्नीचर का काम करता है। उसने बताया कि बचपन से ही किसी भी मशीन को विश्वकर्मा का रूप मानते हुए लोगों को पूजा करते देख आस्था बढ़ी। मैं भी मशीन को विश्वकर्मा का रूप मानकर पूजा करने लगा। इससे हमारी आस्था बढ़ी। कोई भी धर्म बैर नहीं सीखाता। हम सभी खुदा के बंदे हैं। सब धर्म एक है। सभी को मिलकर रहना चाहिए। इससे समाज में खुशहाली आएगी। कोई भी धर्म और मजहब किसी से बगावत करने की इजाजत नहीं देता। धर्म और मजहब दोनों जीने के रास्ते हैं। दुख और सुख में आदमी खुदा को याद कर अपनी समस्या का हल करता है। 

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