14 दिनों से गायब था डीलर का बेटा, सड़ी गली हालत में मिली लाश, लॉकडाउन में भी जमकर बवाल

Published : Mar 24, 2020, 02:12 PM IST
14 दिनों से गायब था डीलर का बेटा, सड़ी गली हालत में मिली लाश, लॉकडाउन में भी जमकर बवाल

सार

9 मार्च की रात से डीलर का पुत्र लापता था। डीलर की पत्नी ने पुलिस से शिकायत करते हुए मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया था। कई दिनों तक खोजबीन के बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला। अंततः 14 दिनों बाद सोमवार को अपह्नत युवक का सड़ा-गला शव मिला।   

मुजफ्फरपुर। कोरोना से बचाव के लिए पूरा बिहार लॉकडाउन है। लोगों का घरों से बाहर निकलना बंद है। सड़कें सूनी और बाजार विरान है। लेकिन इस बीच उत्तर बिहार की राजधानी कही जाने वाली मुजफ्फरपुर में सोमवार को तब जमकर बवाल हुआ जब एक डीलर के अपह्नत पुत्र का शव 14 दिनों बाद सड़ी-गली स्थिति में मिला। शव की शिनाख्त होते ही परिजन और स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। लॉकडाउन में लोगों ने टायर जलाकर मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। जिसे हटाने के लिए पहुंची पुलिस के साथ भी तीखी झड़प हुई। आखिरकार पुलिस को अपने कदम पीछे खिंचने पड़े। 

9 मार्च की रात से गायब था डीलर पुत्र
दरअसल अहियापुर के छींट भगवतीपुर निवासी जन वितरण प्रणाली के दुकानदार रामसूरत सहनी का पुत्र संजीव साहनी 9 मार्च की रात 10 बजे से गायब था। उसके अपहरण की एफआईआर उसकी मां चिंता देवी ने अहियापुर थाने में कराई थी। इसमें गांव के ही 6 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था। संजीव के भाई रोहित सहनी ने बताया, सड़ांध बढ़ने के बाद सोमवार सुबह 11 बजे मन में जलकुंभी के बीच शव होने की आशंका हुई। खोजबीन में सड़ा-गला शव मिला। कपड़े आदि से शव की पहचान मां चिंता देवी ने की। 

सड़क जाम कर जमकर हुआ बवाल
शव की शिनाख्त होते ही परिजनों के साथ गांव के लोग जमा हो गए। शव के साथ लोग सड़क पर उतर आए। पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। टायर जलाकर व बास से घेरकर मुख्य मार्ग पर वाहनों को आने जाने से रोक दिया गया। बवाल और हंगामे की सूचना पर अहियापुर थाने की पुलिस पहुंची, जिसे देखते ही लोग उग्र हो गए। इस बीच परिजनों की पुलिस से भिड़ंत हो गई। हालांकि, पुलिस पीछे हट गई। बाद में कई थानों की पुलिस और क्यूआरटी के साथ पुलिस टीम ने मौके पर सख्ती बरती। लाठी चटका कर शव को कब्जे में लिया गया और पोस्टमार्टम के लिए एसकेएमसीएच भेजा।

मां का आरोप- शिथिलता बरतती रही  पुलिस
मृतक की मां चिंता देवी ने आरोप लगाया कि पुलिस इस मामले में शुरू से ही शिथिलता बरतती रही है। अपहरण के बाद वह लगातार दौड़ती रहीं, लेकिन, पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। मां ने बताया, गांव के लालू सहनी, संतोष सहनी, संजय सहनी, मुन्ना सहनी और संजीत सहनी से एक माह पहले जमीन के लिए विवाद हुआ था। तब इन लोगों ने बेटे का अपहरण कर हत्या करने की धमकी दी थी। गांव के ही युवक फेकू साहनी ने कॉल कर पुत्र संजीव को बुलाया। इसके बाद संजीव नहीं लौटा।  

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