इस फिल्म में गोविंदा की मुंहबोली भांजी दीप्ति तिवारी महत्पूर्ण रोल में हैं। दीप्ति ने hindi.asianetnews.com से बातचीत में बताया कि फिल्म 15-16 साल की उम्र के प्रेमी कपल पर आधारित है।
पटना. लंबे समय से रिलीज का इंतजार कर रही कंट्रोवर्सियल फिल्म 'नादान इश्क बा' अब पर्दे पर आ रही है। फिल्म दलित युवक और ठाकुर की बेटी की लवस्टोरी पर अधारित है। इसकी कहानी किसी सच्ची घटना से प्रेरित बताई जाती है, हालांकि प्रोडक्शन टीम इससे इनकार करती है। यह फिल्म ऐसे वक्त में रिलीज हो रही है, जब मीडिया में उत्तर प्रदेश के बरेली से BJPके विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी मिश्रा और दलित युवक अजितेश की मैरिज विवादों में घिरी हुई है।
इस फिल्म में गोविंदा की मुंहबोली भांजी दीप्ति तिवारी महत्पूर्ण रोल में हैं। दीप्ति ने hindi.asianetnews.com से बातचीत में बताया कि फिल्म 15-16 साल की उम्र के प्रेमी कपल पर आधारित है। फिल्म में प्रेमी कपल के रोल में एक नई जोड़ी आशीष कुमार और प्रीति कुमारी नजर आएंगे। दीप्ति इन दिनों स्टार भारत चैनल पर प्रसारित हो रहे सीरियल 'निमकी मुखिया' में 'नई की दुल्हन' नामक कैरेक्टर में भी नजर आ रही हैं। दीप्ति बताती हैं कि 'नादान इश्क बा' का सब्जेक्ट सोशल है, चूंकि फिल्म के लीड कैरेक्टर टीनएज हैं, इसलिए कोई कुछ भी बोल सकता है। हालांकि यह एक मैसेज देने वाली फिल्म है कि कैसे लोग अपने स्वार्थ के लिए दो बच्चों को उनकी मां से दूर कर देते हैं। उनके प्यार में रोड़ा बन जाते हैं।
दलित बेटे की मां बनी हैं दीप्ति..
सावधान इंडिया, क्राइम पेट्रोल, सीआइडी जैसे चर्चित सीरियलों के जरिये अपनी एक्टिंग से टीवी इंडस्ट्री में जगह बनाने वालीं दीप्ति 'नादान इश्क बा' में अपने रोल के बारे में बताती हैं-'मैं इसमें हीरो की मां बनी हूं। हालांकि उसे बचपन में ही षड्यंत्र करके मां से दूर एक दलित के घर में पहुंचा दिया जाता है। वहीं, उसकी जगह लड़की यानी हीरोइन को गोद में रख दिया गया था। जब दोनों बड़े होते हैं, तब सच्चाई सामने आती है।'
फिल्म में दलित और सवर्ण का मुद्दा उठाने के सवाल पर दीप्ति कहती हैं-'जातियां सिर्फ इंसानियत की दुश्मन हैं। दलित-सवर्ण लोगों ने अपनी सहूलियत और फायदे के लिए बनाए हैं। इंसान की असली जात उसका प्रेम है। प्रेम यह नहीं देखता कि आप किस जाति या धर्म के हैं। इस फिल्म के जरिये दकियानूसी परंपराओं पर प्रहार किया गया है।'
युवा उम्र में एक मां का रोल क्यों? दीप्ति कहती हैं-'एक आर्टिस्ट की पहचान उसके किस्म-किस्म के किरदारों से ही होती है। अपने से कम या बड़ी उम्र का किरदार निभाना बेहद कठिन होता है। उसके लिए आपको ज्यादा मेहनत-तैयारी करनी पड़ती है।'
दीप्ति कुछ उदाहरण देती हैं- '2005 में अक्षय कुमार की एक फिल्म आई थी-वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम...इसमें शेफाली शाह ने अक्षय कुमार की मां का रोल निभाया था। तब शेफाली 33, जबकि अक्षय कुमार 38 साल के थे। 1982 में आई फिल्म 'शक्ति' में राखी गुलजार ने अमिताभ बच्चन की मां की रोल निभाया था। तब राखी 35, जबकि अमिताभजी की उम्र 40 साल थी।'
'नादान इश्क बा' 23 अगस्त को बिहार और झारखंड में एक साथ रिलीज हो रही है। इसकी रिलीजिंग दो बार पहले टल चुकी है। दीप्ति कहती हैं-'हर चीज का एक वक्त होता है। शायद इस फिल्म की रिलीजिंग का यही वक्त यही है।'
गोविंदा का मुंहबोली भांजी हैं दीप्ति
मूलत: बनारस की रहने वालीं दीप्ति गोविंदा को अपना मामा कहती हैं। वे बताती हैं-'जब मैं मुंबई आई और स्ट्रगल शुरू हुआ, तब गोविंदाजी ने मुझे एक भांजी की तरह ट्रीट किया। सपोर्ट किया और गाइड किया। वो मेरे गॉडफादर हैं।'
फिल्म के बारे में..
'नादान इश्क बा' के निर्माता योगेश कुमार और निर्देशक संतराम हैं। इसमें दीप्ति तिवारी के अलावा अवधेश मिश्रा, संजय पाण्डेय, सीपी भट्ट, जय प्रकाश सिंह और अन्नू ओझा भी खास किरदार में होंगे।