SC-ST परिवार के किसी सदस्य की हुई हत्या तो मिलेगी नौकरी, CM नीतीश कुमार की पहल पर बन रहा है ये प्लान

सीएम नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दलितों के लंबित कांडों को 20 सितंबर तक जल्द से जल्द खत्म करें। दलितों को योजनाओं के जरिए मिलने वाले लाभों की मुख्य सचिव से समीक्षा करने का निर्देश दिया। इतना ही नहीं दलित के रहने के लिए वास स्थान और मकानों का भी निर्माण तत्काल शुरू करने का निर्देश भी सीएम ने दिया।
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 5, 2020 4:13 AM IST / Updated: Sep 05 2020, 09:44 AM IST

पटना (Bihar) ।  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों को लेकर शुक्रवार हुए बैठक में कई बड़ी घोषणाएं की। राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक में सीएम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति की अगर हत्या होती है तो उनके परिवारों को एक सरकारी नौकरी देने के नियम जल्द से जल्द बनाया जाए, ताकि पीड़ित परिवार को राहत मिल सके। वहीं, सीएम के इस निर्देश के बाद विपक्षी दलों ने सवाल भी उठाने शुरू कर दिए हैं। वे इस नियम को सभी जातियों के लिए लागू करने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दलित को लेकर खेले गए इस दांव यूपी सहित आस-पास के राज्यों में भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि कई राष्ट्रीय दल नीतिश कुमार के इस फैसले का आने वाले समय में नकल भी कर सकते हैं।

दलितों को लेकर की बड़ी घोषणाएं
सीएम नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि दलितों के लंबित कांडों को 20 सितंबर तक जल्द से जल्द खत्म करें। दलितों को योजनाओं के जरिए मिलने वाले लाभों की मुख्य सचिव से समीक्षा करने का निर्देश दिया। इतना ही नहीं दलित के रहने के लिए वास स्थान और मकानों का भी निर्माण तत्काल शुरू करने का निर्देश भी सीएम ने दिया।

नीतीश ने खेला है बड़ा ट्रंप कार्ड
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा को एक बड़ा ट्रंप कार्ड माना जा रहा है। वहीं, विपक्षी पार्टियों ने इस निर्देश को चुनावी घोषणा बताया है। कांग्रेस की ओर से कहा जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार को दलितों की क्यों याद आ रही है। सिर्फ दलितों के ही नहीं बल्कि किसी भी परिवार की हत्या होती है तो उनके परिजनों को नौकरी दिया जाना चाहिए। आरजेडी की ओर से भी इस घोषणा पर सवाल उठाया गया। साथ ही कहा गया है कि पिछले 15 सालों से दलित क्यों नहीं याद आए? एक तरफ श्याम रजक को पार्टी से निकालते हैं और दूसरी तरफ दलितों की का हितैषी होने की बात करते हैं।

Share this article
click me!