एक कॉलेज ऐसा भी : जहां गाय और बछिया देकर होती थी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, अब इस कारण से लटक रहा ताला...

जब बैचलर ऑफ टेक्नोलाजी बीटेक कोर्स के लिए कॉलेज ने अपना फीस स्ट्रक्चर जारी किया तो यह चर्चा का विषय बन गया। इसमें फीस के रूप में गाय और बछिया देने का जिक्र था। छात्रों के द्वारा दी गई गाय का दूध उनके ही काम आता था और हॉस्टल में रहने वाले छात्र ही इसे खरीद कर उपयोग में लाते थे।
 

बक्सर (बिहार) : अक्सर जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई की बात होती है तो दिमाग में मोटी-मोटी फीस भी दौड़ने लगती है लेकिन क्या आपने कभी ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेज के बारे में सुना है जहां फीस के बदले गाय और बछड़ा लिया जाता हो। यकीन नहीं हो रहा है, तो हम आपको एक ऐसे ही कॉलेज के बारे में बताने जा रहे हैं। कभी फीस के रूप में पांच गाय और पांच बछड़ा लेने वाले बिहार (bihar) के बक्सर (Buxar) के इंजीनियरिंग कॉलेज में अब ताला लग गया है। कॉलेज बैंक की लोन राशि चुकाने में असमर्थ था, इस कारण बैंक ने कॉलेज में ताला जड़ दिया। इस कॉलेज को गरीब और किसान के बच्चों की उच्च शिक्षा के मकसद से खोला गया था।

2010 में खुला था इंजीनियरिंग कॉलेज
DRDA के एक वैज्ञान‍िक ने एक सोच लेकर गांव के गरीब छात्रों को इंजीनियर बनाने के लिए बक्सर के अरियाव गांव में जब 2010 में इंजीनियरिंग कॉलेज की शुरुआत की थी तो किसी को ये मालूम नहीं था कि अपने फीस के तरीकों को लेकर कॉलेज सुर्खियों में जल्द ही आ जाएगा। हुआ भी ऐसा, जब बैचलर ऑफ टेक्नोलाजी बीटेक कोर्स के लिए कॉलेज ने अपना फीस स्ट्रक्चर जारी किया तो इसमें फीस के रूप में पांच गाय और पांच बछिया दे कर कोई भी किसान का लड़का चार साल इंजीनियरिंग की पढ़ाई को आसानी से पूरा कर सकता है। मजे की बात ये थी कि छात्रों के द्वारा दी गई गाय का दूध उनके ही काम आता था और हॉस्टल में रहने वाले छात्र ही इसे खराद कर उपयोग में लाते थे।

Latest Videos

गरीब बच्चों के लिए खुला था कॉलेज
यह कॉलेज एक अलग प्रकार का एक एक्सपेरिमेंट था, जिसमें किसानों ने अपनी जमीन दान करके इंजीनियर सर्किल की मदद से कॉलेज का निर्माण कराया गया था। इस कॉलेज को खोलने का मकसद यह था कि पैसे न होने के अभाव में किसान के बच्चे पढ़ाई से वंचित न रह जाए। यहां किसान के बच्चों से फीस के रूप में गाय-बछिया ली जाती थी। इसके बदले उन्हें चार साल इंजीनियरिंग करने का मौका मिलता था।

इसे भी पढ़ें-Video: 'मुझे थाने में रहना है,घर नहीं जाऊंगा', 4 साल के बच्चे को मनाने के लिए पुलिस को करने पड़े कई जतन

क्यों बंद हुआ कॉलेज
कॉलेज के लिए बैंक से शुरुआत में 4 करोड़ रुपये का लोन भी लिया गया था। कॉलेज के फाउंडर एसके सिंह के मुताबिक, बैंक ने 2013 तक समय से पैसा दिया। इसके बाद कुल 15 करोड़ रुपये की कीमत के इस प्रोजेक्ट की दूसरी किस्त जारी करने का समय था लेकिन बैंक ने आगे लोन देने से मना कर दिया। एसके सिंह बताते है कि चूंकि लोन का अमाउंट ज्यादा था, ऐसे में बैंक ने कहा कि मेरे पास केवल पांच करोड़ तक ही लोन देने की क्षमता है लेकिन बैंक ने लोन पास नहीं किया और कॉलेज का डेवलपमेंट रुक गया। इस तरह 2017 में कॉलेज को बंद करना पड़ा। अब भी हर महीने वे अपने सामानों के रखरखाव की जानकारी लेने के लिए एक से दो बार कॉलेज आते हैं।

अब तबेला बना कॉलेज
कॉलेज के मेन गेट पर बैंक ऑफ इंडिया ने एक नोटिस चिपकाया हुआ है, जिसके ऊपर लिखा है, ये अब बैंक की संपत्ति है। जिसकी बिक्री का अधिकार केवल बैंक का है। करीब 16 एकड़ में फैले इस कॉलेज में अलग-अलग विभाग की बिल्डिंग बनी हैं, जो अब दरक रही हैं। मुख्य बिल्डिंग के गेट पर ताला लगा है। जबकि मेन गेट टूट चुका है। ऐसे में कॉलेज अब भैंसो का तबेला बन चुका है। दो गार्ड हैं, जो लगातार भैंसों को भगाने में लगे रहते हैं। जिस कांसेप्ट से इस कॉलेज ने काम किया। उससे गरीब परिवार के लड़कों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। 

इसे भी पढ़ें-दीवाली से पहले ही जगमगाने लगी अयोध्या, तस्वीरों में देखिए अद्भुत नजारा..जो रचने जा रहीं विश्व कीर्तिमान

Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh