वह मजदूरी कर अपना और परिवार का पेट पाल रही थी, लेकिन अचानक से उसका जीवन ही बदल गया।
पटना : बिहार में पंचायत चुनाव का ट्रेंड इस बार पूरी तरह बदला हुआ नजर आ रहा है। लोकतंत्र के महापर्व की खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार जनता ने उस वर्ग से अपना मुखिया चुना जो समाज के सबसे निचले पायदान पर माना जाता है। पंचायत चुनाव के दूसरे चरण की मतगणना समाप्त होने के बाद ये तस्वीर जमुई जिला में सामने आई है। जहां सहोडा पंचायत में दिहाड़ी मजदूर रेखा देवी को गांव ने अपना मुखिया चुना है।
मजदूर बनी मुखिया
इस्लामनगर अलीगंज प्रखंड में आने वाले सहोडा पंचायत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पंचायत चुनाव 2021 में डांढ महादलित टोला के रहने वाले सुरेंद्र मांझी की पत्नी रेखा देवी सहोडा पंचायत से मुखिया निर्वाचित हुई हैं। पूरे डांढ गांव के ग्रामीण काफी खुश हैं। नव निर्वाचित मुखिया रेखा देवी अपने पति सुरेंद्र के साथ 25 साल से कानपुर (kanpur) में ईंट-भट्ठों पर काम करती थीं।
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रेखा देवी बदलेंगी गांव की तकदीर
रेखा देवी की जीत के बाद गांव के लोग काफी खुश हैं। रेखा से उनकी आशाएं और उम्मीदें जुड़ गईं हैं। यही कारण है कि उनके सिर जीत का सेहरा बांधा गया है। पूरी चुनावी प्रक्रिया की बात करते हुए रेखा बताती हैं कि इस बार जब वे कानपुर से वापस लौटी तो गांव के लोगों ने पति सुरेंद्र से कह उन्हें सहोडा पंचायत सुरक्षित सीट से मुखिया पद के लिए खड़ा करवाया। रेखा के सामने 5 और उम्मीदवार थे, लेकिन सभी को रेखा ने चारों खाने चित कर दिया और बड़ी जीत हासिल की। रेखा को करीब चार सौ वोटों से जीत मिली।
गरीबों को हक दिलाना पहली प्राथमिकता
रेखा देवी कहती हैं कि गरीबी को उन्होंने काफी नजदीक से देखा है। उनके पास कोई अनुभव तो नहीं है लेकिन पंचायत में विकास के कामों को अंजाम देने का जज्बा उनके दिलों में खूब भरा है। गरीबी में पली-बढ़ी हैं इसलिए गरीबों को उनका हक दिलाना ही बतौर मुखिया उनकी पहली प्राथमिकता होगी। वो गांव और पंचायत के लिए विकास का काम करेंगी। रेखा देवी के गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क तक नहीं हैं। वो गांव की सड़कों का निर्माण कराने की बात भी करती हैं, साथ ही ये भी कहती हैं कि हर गरीब को पक्का मकान और बच्चों को पढ़ने के स्कूल की व्यवस्था भी करेंगी।
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