हफ्ते में 48 घंटे काम, बाकी आराम, ओवर टाइम के लिए देनी होगी डबल सैलरी, जानिए क्या है बिहार सरकार का नया आदेश..

अब राज्य की रजिस्टर्ड फैक्ट्रियों में काम करने वाले वर्करों को हफ्ते में सिर्फ 48 घंटे ही काम करने होंगे। कंपनी अपने वर्कर से इससे ज्यादा काम नहीं करा सकेगी। इस तय समय में भी श्रमिकों से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे का काम कराया जा सकेगा। काम कराते वक्त 5 घंटे के बाद कम से कम आधे घंटे का ब्रेक देना होगा। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2021 9:21 AM IST

पटना : बिहार (Bihar) की नीतीश सरकार (Nitish Government) ने जॉब करने वालों को वर्किंग आवर में आराम देते हुए बड़ी खुशखबरी दी है। अब राज्य की रजिस्टर्ड फैक्ट्रियों में काम करने वाले वर्करों को हफ्ते में सिर्फ 48 घंटे ही काम करने होंगे। कंपनी अपने वर्कर से इससे ज्यादा काम नहीं करा सकेगी। इस तय समय में भी श्रमिकों से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे का काम कराया जा सकेगा। काम कराते वक्त 5 घंटे के बाद कम से कम आधे घंटे का ब्रेक देना होगा। ओवर टाइम करने पर दोगुनी कीमत देनी होगी। श्रम संसाधन विभाग ने इसको लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने वर्किंग आवर तय करने के साथ ही छुट्टियों को लेकर भी गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार वर्करों को मिलने वाली छुट्टी की लिस्ट फैक्ट्री में लगानी होगी, ताकि उन्हें पता चल सके कि किस दिन उनकी छुट्टी है।

ओवर टाइम कराया तो डबल सैलरी
श्रम विभाग ने ओवर टाइम काम कराने के लिए नियम भी तय किए हैं। इसके अनुसार अब अनिवार्य सेवा से जुड़ीं कंपनिया वर्करों से ज्यादा से ज्यादा 12 घंटे तक काम करा सकती है। 8 घंटे के बाद काम कराने पर उन्हें साधारण दर की जगह दोगुने दर से सैलरी देनी होगी। महीने के अंत में ओवरटाइम का पैसा वर्करों को मिलेगा।

सुरक्षा का रखना होगा ख्याल
श्रम विभाग की तरफ से जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि जिस फैक्ट्री में 500 से ज्यादा वर्कर काम करते होंगे वहां एक सुरक्षा अधिकारी रखा जाएगा। सुरक्षा अदिकारी वर्करों को काम करने के दौरान सुरक्षा संबधी चीजों पर ध्यान रखेंगे। जहां काम के दौरान ज्यादा खतरे की गुंजाइश है, वहां 250 मजदूरों पर ही एक सुरक्षा अधिकारी बहाल होंगे। इसके साथ ही फैक्ट्ररियों में सुरक्षा समिति का भी गठन किया जाएगा। समिति में कंपनी मालिक और वर्कर दोनों के प्रतिनिधि रहेंगे। समिति की बैठक हर तीन महीने में एक बार होगी और इसका कार्यकाल तीन साल का होगा।

मेडिकल ऑफिसर भी अनिवार्य
काम करनेवाली जगहों में वर्कर का पूरा ब्योरा एक रजिस्टर में रखा जाएगा। ज्यादा क्षमता वाले कारखानों में मेडिकल ऑफिसर की भी बहाली करनी होगी। जो मजदूरों की नियमित स्वास्थ्य की जांच कराएंगे। श्रम संसाधन विभाग ने कॉन्ट्रैक्ट बेसिस काम करने वाले वर्कर का भी ख्याल रखा है। ऐसेवर्कर को भी कंपनी के अंदर कपड़े बदलने की जगह, फर्स्ट एड बॉक्स, कैंटीन जैसी सुविधाओं का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही जो ठेका वर्कर बाहर काम कर रहे हैं उनके लिए भी ये सुविधा उपलब्ध कराना होगा।

ठेकेदार के लिए लाइसेंस जरुरी
श्रम विभाग ने कहा है कि ठेका वर्कर से काम कराने वाले ठेकेदारों को लाइसेंस लेना होगा। ये लाइसेंस पांच सालों के लिए होगा। ठेकेदारों को 49 वर्करों से काम कराने पर लाइसेंस के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। जबकि 50 से 100 के लिए एक हजार, 101 से 300 के लिए दो हजार, 301 से 500 के लिए तीन हजार, 501 से 1000 के लिए पांच हजार, 1001 से 5000 के लिए 10 हजार, 5001 से 10,000 के लिए 20 हजार, 10,001 से 20 हजार के लिए 30 हजार तो वहीं इससे ज्यादा वर्करों से काम कराने के लिए लाइसेंस के लिए 40 हजार देने होंगे।

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