क्या बिहार में भी लागू होगी पुरानी पेंशन योजना, अगर सरकार ने मानी मांग तो सरकारी खजाने पर पड़ेगा इतना असर

अगर नीतीश सरकार इस तरफ अपने कदम बढ़ाती है और राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करती है तो राज्य के 1.50 लाख सरकारी कर्मचारियों को तत्काल इसका फायदा मिलेगा। लंबे समय से  शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी यूनियन इस योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं।

पटना : राजस्थान और झारखंड के बाद अब बिहार (Bihar) में भी पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाली की मांग शुरू हो गई है। यूपी चुनाव (UP Chunav 2022) में इस बार पुरानी पेंशन योजना बड़ा मुद्दा रहा। अब बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने इसकी वापसी की मांग की है। तेजस्वी की इस मांग से डेढ़ लाख के करीब कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को समर्थन मिल गया है। RJD इसी का राजनीतिक रूप से फायदा चाहती है। यही कारण है कि पार्टी की तरफ से इसको लेकर आवाज उठने लगी है।

बिहार में इन कर्मचारियों को मिलेगा फायदा
अब अगर नीतीश सरकार इस तरफ अपने कदम बढ़ाती है और राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करती है तो राज्य के 1.50 लाख सरकारी कर्मचारियों को तत्काल इसका फायदा मिलेगा। इतना ही नहीं संविदा पर काम कर रहे पांच लाख कर्मचारियों के हाथ भी सरकार पर दबाव बनाने का मौका मिल जाएगा। बता दें कि बिहार में लंबे समय से  शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी यूनियन इस योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं।

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क्यों हो रही मांग
बता दें कि देश में एक अप्रैल 2004 से ही सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया गया था। इसकी जगह नई राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) लागू की गई थी। इसका मतलब यह है कि साल 2004 के बाद जिन्होंने सरकारी नौकरी ज्वॉइन की है, उन्हें रिटायरमेंट के बाद ना तो पहले की तरह पेंशन मिलेगा और ना ही सरकार की तरफ से कोई सुविधा।

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पुरानी पेंशन योजना

पुरानी योजना में पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती थी, पूरा पेंशन सरकार देती है। NPS में कर्मचारी को खुद EPF में हर महीने 10 से 12 प्रतिशत की कटौती होती है। OPS में रिटायरमेंट पर निश्चित पेंशन यानी अंतिम वेतन का 50% कर्मचारी को मिलता है। ग्रेच्युटी यानी अंतिम वेतन के अनुसार 16.5 महीने का वेतन भी मिलता है। ड्यूटी के दौरान मौत होने पर डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा मिलती है। इसके साथ ही परिवार के जो लोग भी आश्रित हैं उन्हें पेंशन और नौकरी मिलती है। जबकि नई राष्ट्रीय पेंशन योजना में यह सुविधाएं नहीं हैं। पुरानी पेंशन योजना में 6 महीने बाद महंगाई भत्ता और GPF से लोन लेने की सुविधा है। जबकि नई स्कीम में यह सुविधाएं नहीं हैं। इसमें निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है। इसका पूरा कार्यभार बीमा कंपनियों को दिया गया है। जो शेयर मार्केट पर निर्भर है।

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सरकारी खजाने पर कितना पड़ेगा भार

वर्तमान में बिहार सरकार पेंशन पर 24,252.29 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। जो राज्य के बजट का 10.20 प्रतिशत है। सरकार 64,788 करोड़ अपने कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च करती है। वहीं, झारखंड में रिटायर हुए कर्मचारियों के पेंशन के लिए भी 310 करोड़ रुपए देती है। विशेषज्ञ की माने तो अगर राज्य सरकार पुरानी पेंशन योजना अगर लागू करती है तो सरकार का पेंशन पर किया जाने वाला खर्च दोगुना बढ़ जाएगा। 

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