सरकारी दावों से इतर बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूरों की स्थिति क्या है, इसका एक वीडियो वायरल है। मात्र पांच रुपए के बिस्कुट के लिए प्रवासी मजदूर छीना झपटी करते नजर आ रहे हैं। वीडियो ने सरकारी दावों की पोल दी है।
कटिहार। लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से बिहार लाया जा रहा है। भुखमरी के शिकार प्रवासी मजदूर जब बिहार आ रहे हैं तो स्टेशन पर स्क्रिनिंग के बाद उन्हें अपने-अपने जिलों में जिला प्रशासन द्वारा चिह्नित वाहनों से पहुंचाया जा रहा है। इस बीच स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों को नाश्ते का इंतजाम किया जाता है।
सरकार का दावा है कि हर एक प्रवासी मजदूर को पूरी सोशल डिस्टेसिंग के साथ क्वारेंटाइन सेंटर तक पहुंचाया जा रहा है। लेकिन कटिहार जिले से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसमें पांच रुपए के बिस्कुट के लिए प्रवासी मजदूर छीना-झपटी करते नजर आ रहे हैं। ये वीडियो कोरोना से संघर्ष की तैयारियों की कलई खोलने के लिए काफी है।
कटिहार स्टेशन पर छीना-झपटी
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से उतरे लोग सोशल डिस्टेसिंग भूलकर जान की परवाह न करते हुए बिस्कुट के लिए छीना झपटी करते दिख रहे हैं। ये वीडियो कटिहार रेलवे स्टेशन का बताया जा रहा है। एक यूजर ने वीडियो को ट्वीट कर लिखा, "भूख से संघर्ष।"
वीडियो में एक शख्स यह कहता दिख रहा है कि एक-एक करके बिस्कुट लो। लेकिन भूख से बिलबिलाते श्रमिक उस एक बिस्कुट के लिए आपस में झगड़ते दिख रहे हैं। वीडियो को देख कोरोना से उपजे हालात को सहज ही समझा जा सकता है। सरकार लाख दावें कर लें, लेकिन कोरोना से जंग की हकीकत खौफनाक है।
भूख की मजबूरी में भूल रहे गाइडलाउन
लोग यह समझ चुके हैं कि कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। लेकिन बात जब भूख से रोते बच्चों की आती हैं तो सभी गाइडलाइन फेल हो जाती है। बता दें कि बीते दिनों बिहार के ही बांका जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां चार दिनों से भूखे बच्चों की पेट भरने के लिए पिता खेत से खीरा की चोरी करता पकड़ा गया था। चोरी करते पकड़ाने के बाद पहले तो लोगों ने उसकी जमकर पिटाई की गई थी। लेकिन बाद में जब उसने अपनी सच्चाई बताई तो लोगों ने उसकी मदद भी की। न जाने ऐसे कितने लोग इन दिनों अलग-अलग शहरों में पेट भरने की मशक्कत में लगे हैं।