कल लालू यादव के लिए बड़ा दिन: सुनाया जाएगा सबसे बड़ा फैसला, उम्र के आखरी पड़ाव में 7 साल की हो सकती है जेल

कानून के जानकारों का कहना है कि कल यानि सोमवार का दिन लालू की जिंदगी की सबसे बड़ा फैसला होगा। क्योंकि लाल यादव को कोर्ट जिन धाराओं में दोषी पाया है, उनके हिसाब से लाल को कम से कम एक साल तो ज्यादा से ज्यादा 7 वर्ष तक जेल की सजा हो सकती है

पटना/रांची. सोमवार यानि कल 21 फरवरी का दिन लाल प्रसाद यादव (rjd chief lalu prasad yadav) और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ा दिन होगा। क्योंकि देश के सबसे बड़े और बहुचर्चित चारा घोटाले के एक केस डोरंडा ट्रेजरी मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट फैसला सुनाएगी। 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को 15 फ़रवरी को ही दोषी करार हो चुके हैं।

उम्र के अंतिम पड़ाव में लाल यादव मुश्किल में
दरअसल, कानून के जानकारों का कहना है कि कल लालू की जिंदगी की सबसे बड़ा फैसला होगा। क्योंकि लाल यादव को कोर्ट जिन धाराओं में दोषी पाया है, उनके हिसाब से लाल को कम से कम एक साल तो ज्यादा से ज्यादा 7 वर्ष तक जेल की सजा हो सकती है। लालू यादव अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में है। अगर उनको सात साल की सजा होती है तो यह पूरे परिवार को मुश्किल भरा हो सकता है।

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लालू यादव समेत 99 आरोपी हैं इस मामले में
दरअसल, डोरंडा ट्रेजरी केस बहुचर्चित चारा घोटाले में से एक मामला है। 1990-92 के बीच चाईबासा ट्रेजरी से अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़ा करते हुए 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था। इस केस में 10 महिलाएं भी आरोपी है। मामले में चार राजनीतिज्ञ, दो वरीय अधिकारी, चार अधिकारी, लेखा कार्यालय के छह, 31 पशुपालन पदाधिकारी स्तर के और 53 आपूर्तिकर्ता आरोपी बनाए गए हैं। अब मामले में लालू यादव समेत 99 आरोपी हैं।  

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क्या है मामला 
1990 से 1992 के बीच डोरंडा ट्रेजरी से फर्जी निकासी का घोटाला हुआ। यह अपनी तरह का नायाब फर्जीवाड़ा था। इसमें अवैध तरीके से पैसे निकालने के लिए पशुओं को वाहनों में ढोने के बिल पास कराए गए। लेकिन जिन वाहनों के नंबर दिए गए थे, जांच में वे स्कूटर या दुपहिया वाहनों के निकले। मामले की सीबीआई जांच के दौरान पता चला कि नेताओं और अफसरों ने मिलकर 400 सांडों को हरियाणा और दिल्ली जैसे शहरों से रांची लाया गया। सरकारी दस्तावेजों में कहा गया कि गायों की बेहतर नस्ल के लिए इन्हें लाया गया है। लेकिन जिन वाहनों पर इन्हें लाना दर्शाया गया, उनके नंबर दोपहिया वाहनों के निकले। इन नंबरों की जांच के लिए देश के 150 परिवहन कार्यालयों से दस्तावेज जुटाए गए। 

 

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