Chhath Puja 2021: नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, जानें सूर्योदय,सूर्यास्त और पारण का समय

नहाय-खाय के साथ सोमवार से छठ महापर्व का आगाज हो चुका है। नहाय खाय के द‍िन गंगा स्‍नान करने की मान्‍यता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है। चार दिवसीय छठ पर्व का व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन होता है।

Asianet News Hindi | / Updated: Nov 08 2021, 06:30 AM IST

पटना :  नहाय-खाय के साथ सोमवार से छठ महापर्व (Chhath Puja 2021) का विधिवत आगाज हो चुका है। नहाय खाय के द‍िन गंगा स्‍नान करने की मान्‍यता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है। चार दिवसीय छठ पर्व का व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन होता है। इसल‍िए इसे महापर्व कहते हैं। मंगलवार यानी 9 नवंबर को खरना किया जाएगा और 10 नवंबर षष्ठी तिथि को मुख्य छठ पूजन किया जाएगा और अगले दिन 11 नवंबर सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पर्व के व्रत का पारणा किया जाएगा। इस व्रत में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है और उगते वह अस्त होते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ के महापर्व में छठी मैया के पूजन का विधान है। 

कौन हैं छठी मईया
धार्मिक मान्यता के अनुसार, छठ मईया को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि ये वही देवी हैं जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि को की जाती है। इनकी पूजा करने से संतान प्राप्ति और संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन्हें सूर्य देव की बहन भी माना जाता है। छठ महापर्व नई फसल के उत्सव का प्रतीक है। सूर्यदेव को दिए जाने प्रसाद में फलों के अलावा नई फसल से भोजन तैयार किया जाता है। इस महापर्व में सफाई का बहुत महत्‍व है। पूजा का प्रसाद बनाने वाली जगह साफ-सुथरी होनी चाहिए। बिना प्याज, लहसुन और नमक के प्रसाद बनाया जाता है। 

सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे की कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक छठ पर्व का आरंभ महाभारत काल के समय में माना जाता था। कर्ण जन्म सूर्यनारायण के द्वारा दिए गए वरदान के कारण कुंती के गर्भ से हुआ था। इसलिए ये सूर्य पुत्र कहलाते हैं और सूर्यनारायण की कृपा और इनको कवच और कुंडल प्राप्त हुए थे। सूर्य देव के तेज और कृपा से ही कर्ण तेजवान और महान योद्धा बने। कहा जाता है कि इस पर्व की शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण के द्वारा सूर्य की पूजा करके की थी। कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य पूजा करते थे और उनको अर्घ्य देते थे। इसलिए आज भी छठ में सूर्य को अर्घ्य देने परंपरा चली आ रही है। इस संबंध में एक कथा और मिलती है कि जब पांडव अपना सारा राज-पाठ कौरवों से जुए में हार गए, तब दौपदी ने छठ व्रत किया था। इस व्रत से पांडवों को उनका पूरा राजपाठ वापस मिल गया था।
 
सूर्य को जल देने का महत्व
सूर्य को पृथ्वी पर जीवन का आधार माना जाता है। सूर्य को जल देने सेहत, संबंधी फायदे भी प्राप्त होते हैं। जीवन में जल और सूर्य की महत्ता को देखते हुए छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अलावा सूर्य को जल देने का ज्योतिष महत्व भी माना जाता है। भगवान सूर्य नारायण की कृपा से व्यक्ति को तेज व मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

छठ पूजा का शुभ मुहूर्त 
8 नवंबर 2021, सोमवार (नहाय खाय)
छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से होती है। यह छठ पूजा का पहला दिन होता है, इस दिन नहाय खाय होता है। इस बार नहाय-खाय 8 नवंबर यानी सोमवार को है। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट पर हुआ और सूर्यास्त 5 बजकर 31 मिनट पर होगा। 

9 नवंबर 2021, मंगलवार (खरना)
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है। कई जगह इसे रसियाव-रोटी भी कहते हैं। पूरे दिन व्रत रखने के बाद महिलाएं शाम को गुड़ से बनी खीर और पूरी का भोग छठी मइया को लगाती हैं और फिर इसे प्रसाद स्‍वरूप ग्रहण करती हैं। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 39 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 30 मिनट पर होगा। यूपी-बिहार समेत देशभर में इस महापर्व को लेकर काफी उत्साह है।

10 नवंबर 2021, बुधवार (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
इस दिन ही छठ पूजा होती है। इस दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और संतानों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। इस दिन सूर्यादय 6 बजकर 40 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 30 मिनट पर होगा। महिलाएं विधि-विधान से पूजा-पाठ करेंगी।

11 नवंबर 2021, गुरुवार (उगते सूर्य को अर्घ्य)
छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होता है। इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद पारण कर व्रत को पूरा किया जाता है। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 41 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 29 मिनट पर होगा।

छठी मईया की पूजा विधि
नहाय-खाय के दिन व्रती शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं। खरना या लोहंडा को दिन भर व्रत रहने के बाद रात को गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाते हैं। सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाएं और बाद में परिवार के लोगों को खिलाएं। छठी मइया को प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि चढ़ाया जाता है। 

छठ पूजा की सामग्री
छठ पूजा मूलत: बिहार का यह पर्व है जो अब यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्‍ली, मुंबई और नेपाल में भी धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पर्व में फलों से लेकर कई चीजों का विशेष महत्‍व है। संतरा, अनानास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल के अलावा साठी के चावल का चिउड़ा, ठेकुआ, दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य भी शामिल किए जाते हैं। 

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