बिहार के प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक बीते 17 फरवरी से समान काम के लिए समान वेतन सहित अन्य मांगों के लिए हड़ताल पर है। 25 फरवरी से माध्यमिक स्कूल के शिक्षक भी हड़ताल पर चले गए है। शिक्षकों की मांग पर सीएम नीतीश कुमार ने अब अपनी चुप्पी तोड़ी है।
पटना। शिक्षकों के हड़ताल के मुद्दे पर बिहार विधान परिषद के मौजूदा सत्र बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने साफ कहा कि जितना राज्य सरकार को संभव हो सकेगा उतना प्रतिवर्ष शिक्षकों का वेतन बढ़ाया जाएगा, लेकिन समान कार्य के लिए समान वेतन देना संभव नहीं है। उन्होंने शिक्षकों के हड़ताल के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में बच्चों की परीक्षा हो रही थी तो और आप हड़ताल कर रहे थे। ये बात सही नहीं है। ये गैर कानूनी है। प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के मौके पर राज्य के सामर्थ्य के अनुसार जो भी संभव हो सकेगा उसके अनुसार आप लोगों का वेतन बढ़ाया जाएगा।
शिक्षकों के प्रति सहानुभूति हैः सीएम नीतीश
सीएम ने याद दिलाते हुए कहा कि जब शिक्षामित्र को बहाल किया गया था तब वेतन 1500 रुपए था। बाद में जो शिक्षक बहाल हुए उन्हें चार हजार रुपए वेतन दिया गया। आज आप शिक्षकों को क्या वेतन दिया जा रहा है, उसे कितना बढ़ाया जा चुका है, इसके बारे में आराम में सोचिए। समान काम के लिए समान वेतन की कोर्ट में हुई मुकदमेबाजी के बारे में सीएम ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब कोर्ट में केस चल रहा था तो सरकार की ओर से एक वकील थे। जबकि शिक्षकों की ओर से कई और कितने मंहगे-मंहगे वकील रखे गए थे। सीएम ने कहा कि शिक्षकों के प्रति हमारी सहानुभूति है। लेकिन ये संभव नहीं है कि सबकुछ आप ही दे दिया जाए।
17 से प्राथमिक स्कूल के शिक्षक हड़ताल पर
सीएम ने तंज कसते हुए ये भी कहा कि एक ही काम नहीं है। सड़क निर्माण रोक दिया जाए, नल जल रोक दिया जाए, और सारा पैसा आपको ही दे दिया जाए ये संभव नहीं है। बता दें कि बिहार के प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक बीते 17 फरवरी से समान काम के लिए समान वेतन सहित अन्य मांगों के लिए हड़ताल पर है। 25 फरवरी से माध्यमिक स्कूल के शिक्षक भी हड़ताल पर चले गए है। साथ ही सीएम ने यह भी कहा कि शिक्षकों में कुछ नेता भी है, उनके बारे में हम कुछ नहीं बोलेंगे। लेकिन हमारी अपील है कि शिक्षक अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो। उन्होंने राज्यपाल और वित्त मंत्री के भाषण को सुनने का भी अपील किया।