मरने के एक दिन बाद मिली रिपोर्ट, लाश के संपर्क में आए कई लोग; मुसीबत में बिहार सरकार

बिहार में कोरोना वायरस से पहली मौत हो चुकी है। मुंगेर के 38 वर्षीय सैफ अली की मौत पटना के एम्स में इलाज के दौरान शनिवार को ही हो गई थी। लेकिन उसकी रिपोर्ट रविवार को मिली। जिसके बाद बिहार सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने मामले की पुष्टि हुई। 
 

मुंगेर। कोरोना वायरस से बिहार में हुए पहली मौत के बाद पूरे जिले में दहशत का माहौल है। मुंगेर शहरी क्षेत्र के चुरम्बा निवासी शहाबुद्दीन के 38 वर्षीय पुत्र सैफ अली की मौत शनिवार को ही हो गई थी। शनिवार देर रात तक सैफ अली का शव मुंगेर आ चुका था। लेकिन एम्स के डॉक्टरों के पास सैफ के कोरोना पॉजीटिव होने की रिपोर्ट रविवार को दिन में मिली। तब तक सैफ के परिजन के साथ-साथ आस-पास के मोहल्ले वाले भी सैफ के शव के संपर्क में आ चुके थे। अब डर इस बात का है कि सैफ के शव के संपर्क में आए लोगों को भी कोरोना अपनी चपेट में ले सकता है। 

सैफ के शव के संपर्क में आए लोगों पर भी खतरा
मीडिया के जरिए सैफ के कोरोना पॉजीटिव होने की जानकारी मिलने के बाद उसके परिजन काफी आक्रोशित थे। परिजनों का कहना था कि यदि हम लोगों को पहले ही बता दिया जाता तो हम सैफ का अंतिम संस्कार वहीं कर दिए होते। इसके लाश  को लेकर यहां  आने की जरूरत भी नहीं थी। लेकिन अब तक सैफ के संपर्क में पूरा परिवार आ चुका है। बता दें कि सैफ के पिता शहाबुद्दीन सऊदी अरब में रहते हैं। जो बेटे की खराब हालत की सूचना पर वहां से निकल चुके है। आज शाम तक शहाबुद्दीन के मुंगेर पहुंचने की सूचना है। जिसके बाद सैफ का अंतिम संस्कार किया जाएगा।      

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कोरोना रिपोर्ट आने में लगता है दो-तीन दिनों का समय
रविवार को दिन के 12 बजे तक जैसे ही लोगों को सैफ के कोरोना पॉजीटिव होने की सूचना मिली, बड़ी संख्या में लोग उसके घर पहुंचने लगे। मामले की जानकारी देते हुए एम्स के सुपरिडेंटेट ने बताया कि बिहार में कोरोना जांच की सुविधा नहीं है। हम सभी संदिग्धों का सैंपल का जांच के लिए भेजते है। जांच रिपोर्ट आने में दो से तीन दिनों का समय लगता है। सैफ के साथ भी यहीं  प्रक्रिया की गई थी। सैफ 20 को हमारे यहां एडमिट हुआ था। तभी उसका सैंपल भेजा गया था। लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही उसकी मौत हो गई। 

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कतर में ड्राइवरी करता था सैफ अली
उल्लेखनीय हो कि सैफ अली कतर में ड्राइवरी करता था। तबियत खराब होने पर बीते कुछ दिनों पहले वो मुंगेर आया था। मुंगेर के निजी क्लीनिक में इलाज के बाद उसे पीएमसीएच रेफर किया गया था। लेकिन पीएमसीएच ने सैफ को अपने यहां एडमिट नहीं किया था। जिसके बाद उसे पटना एम्स में एडमिट किया गया था। जहां 21 मार्च को उसकी मौत हो गई। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि उसका किडनी फेल्योर था और डायबिटीज भी था। एम्स में उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था पर उसकी मौत हो गई।

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