पिछले साल जिस बीमारी ने ले ली थी 164 बच्चों की जान, बिहार में फिर आया; 1 बच्चे की मौत

Published : Mar 30, 2020, 08:11 PM IST
पिछले साल जिस बीमारी ने ले ली थी 164 बच्चों की जान, बिहार में फिर आया; 1 बच्चे की मौत

सार

कोरोना से उपजे संकट के बीच बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एईएस (चमकी बुखार) ने दस्तक दे दी है। जिले के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इलाजरत साढ़े तीन वर्ष के एक बच्चे की मौत चमकी बुखार से हो गई। चमकी बुखार की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप की स्थिति है। 

मुजफ्फरपुर। पिछले वर्ष जिस जानलेवा बीमारी से जिले में 164 बच्चों की मौत हुई थी, वो इस साल भी शुरू हो गया है। एईएस से सकरा के एक बच्चे की एसकेएमसीएच में रविवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। पीड़ित बाड़ा बुजुर्ग गांव के मुन्ना राम का साढ़े तीन वर्षीय पुत्र आदित्य कुमार था। हालत नाजुक होने पर वेंटिलेटर पर रखकर आदित्या का इलाज किया जा रहा था। उसका ग्लूकोज लेवल 30 से कम था। बच्चे की मौत से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है। एसकेएमसीएच के डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि मृत बच्चे की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है।

दो बच्चों की सेहत में हो रहा सुधार 
वहीं राहत की बात यह है कि समय से अस्पताल पहुंचे मोतिहारी और फकुली के बच्चे की स्थिति में सुधार है। उल्लेखनीय हो कि बीते दिनों फकुली के विंदेश्वर राय के 8 वर्षीय पुत्र शिवम कुमार और मोतिहारी के चिरैया के अकौना गांव के रूपण सहनी का तीन वर्षीय पुत्री सपना कुमारी को एसकेएमसीएच में एडमिट किया गया था। दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि आदित्य के शरीर पर दवा के अधिक डोज का कोई असर नहीं पड़ा। इसकी रिपोर्ट डीएम को भेजी गई है। बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले में एईएस का इस वर्ष यह पहला मामला है।

मंत्री ने दौरा कर दिए थे निर्देश
उल्लेखनीय हो कि चमकी बुखार ने पिछले साल जिले के बच्चों पर कहर बनकर टूटा था। इस बीमारी से बीते साल 164 बच्चों की मौत हो गई थी। 600 से ज्यादा बच्चे अस्पतालों में भर्ती हुए थे। हालांकि सरकार ने 102 बच्चों के ही मौत की पुष्टि की थी। चमकी बुखार की बिगड़ती स्थिति के बाद बीते साल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एसकेएमसीएच का दौरा किया था।

उन्होंने अफसरों को कई निर्देश देने के साथ ही मौत के कारणों का पता लगाने के लिए प्रभावित इलाके और पीड़ित परिवारों के सामाजिक-आर्थिक सर्वे का ऐलान किया था। 

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