5 घंटे तक बेइंतहा दर्द से मेडिकल कॉलेज में तड़पती रही प्रेग्नेंट, रुपये देने पर भी नहीं हुआ इलाज

डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। इस समय कोरोना से उपजी समस्याओं के बीच डॉक्टरों पर बहुत ज्यादा दवाब भी है। लेकिन इसे हैंडल करते हुए अन्य मरीजों का भी इलाज भी होना चाहिए। हालांकि यह होता नहीं दिख रहा है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 30, 2020 6:37 AM IST / Updated: Mar 30 2020, 01:26 PM IST

मुजफ्फरपुर। लॉकडाउन के बीच डॉक्टरों के अमानवीय व्यवहार का एक मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से सामने आया है। जहां जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने पांच घंटे तक 9 माह की प्रेग्नेंट लेडी का इलाज नहीं किया। थक-हार कर जब परिजन उसे निजी क्लीनिक ले गए, वहां भी पैसे के अभाव में इलाज शुरू नहीं किया गया। पेशेंट को क्लीनिक में एडमिट कर और पैसे लाने के लिए कह दिया गया। जबतक  परिजन पैसे का बंदोबस्त करते तबतक महिला और उसके कोख में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। 

औराई थाना क्षेत्र के रतवारा पूर्वी पंचायत का मामला

मृतका के पति ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पैसे की किल्लत थी। मामला मुजफ्फरपुर के औराई थाना क्षेत्र के रतवारा पूर्वी पंचायत के एरिया गांव में एक नौ माह की गभवर्ती की मौत हो गई। गभवर्ती की मौत 50 हजार रुपए डॉक्टर की फीस नहीं भरने की वजह से हो गई। एरिया गांव निवासी मनोज राय ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के कारण पैसे खत्म हो गए। इस वजह से गर्भवती पत्नी रंजना देवी को पहले औराई पीएचसी में भर्ती कराया। लेकिन वहां से डॉक्टर ने उसे निजी रेफर कर दिया।

इसके बाद उसे निजी क्लीनिक में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर ने मनोज से 50 हजार की फीस भरने को कहा। रुपये के अभाव में चिकित्सक ने रंजना का इलाज नहीं किया और उसकी मौत हो गई। 

SKMCH में पांच घंटे रखा पर नहीं किया इलाज
मनोज राय ने बताया कि शनिवार को वह पत्नी रंजना देवी को लेकर औराई पीएचसी ले गए। जहां अधिक ब्लीडिंग नहीं रूकने की वजह से उसे एसकेएमसीएच रेफर कर दिया। पीएचसी से रंजन को मेडिकल कॉलेज ले गए जहां पांच घंटे तक रंजना को रखा गया मगर उसका उपचार नहीं किया गया। पीड़ित मनोज राय ने बताया कि एसकेएमसीएच में पत्नी का इलाज नहीं होता देख उन्होंने अखाड़ाघाट स्थित एक निजी क्लीनिक का रूख किया।

वहां पहुंचने पर उनसे पत्नी के इलाज के लिए 50 हजार रुपये मांगे गए। लेकिन उस वक्त उनके पास मात्र 5 हजार रुपये ही थे। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के लोगों से 5 हजार जमा लेने की बात कही और बांकी पैसे बाद में देने का वादा किया। मनोज की 5 हजार रुपये जमा लेने की बात सुन कर अस्पताल प्रबधंन के लोगों ने क्लीनिक का मेन गेट बंद कर दिया। इसके बाद वे पत्नी को लेकर पुन: एसकेएमसीएच की ओर चले। लेकिन रास्ते मंे ही रंजना की मौत हो गई।
 

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