
पटना। पूरी दुनिया के लिए खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना का संक्रमण भारत में तेजी से बढ़ता जा रहा है। बिहार इससे अछूता नहीं है। राज्य में अबतक कोरोना के 16 पॉजिटिव केस सामने आ चुके है। जिसमें दो लोगों की मौत हुई है। जबकि एक मरीज ठीक हो कर अपने घर लौटी है।
कोरोना को हराने वाली राज्य की पहली मरीज ने कहा अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पॉजिटिव माइंडसेट के साथ डॉक्टर की हर बात पर अमल करना चाहिए। सही सलाह और संयम के बल पर बीमारी को दूर किया जा सकता है। बता दें कि कोरोना की इस मरीज को अब अस्पताल से फुर्सत मिल चुकी है। अब अपने परिवार के साथ घर पर क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रही है।
पटना एम्स से की गई डिस्चार्ज
कोरोना को हराने वाली राज्य की पहली मरीज मूल रूप से केरल की रहने वाली है। लेकिन इनका पूरा परिवार पटना में रहता है। 20 मार्च को 35 वर्षीय अनीता विनोद को पटना के एम्स में एडमिट किया गया था। 30 मार्च को उनका दूसरा रिपोर्ट भी निगेटिव आया, जिसके बाद उन्हें घर भेज दिया गया। अनीता का परिवार पटना के दीघा इलाके में एक अपार्टमेंट में रहता है। अनीता के पति वेकंट रमण टेक्सटाइल इंजीनियर हैं। उनका बड़ा लड़का 5 मार्च को इटली से वापस आया था। वहीं छोटा लड़का पटना में रहकर पढ़ाई करता है।
नेपाल से लौटने के बाद बिगड़ी थी तबियत
अनीता ने बताया कि वो 2 मार्च को नेपाल गई थी। वहां से लौटने के बाद 16 मार्च को उन्हें सर्दी-खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। कोरोना का सिमटम देख वो अपने बेटे के साथ एम्स इलाज कराने पहुंची। जहां ट्रैवल हिस्ट्री के आधार पर इटली से लौटे उनके लड़के का भी टेस्ट किया गया। हालांकि उसका रिपोर्ट निगेटिव आया। लेकिन अनीता को संदिग्ध मरीज बता डॉक्टरों ने आइसोलेशन में जाने की सलाह दी। जिसके बाद अनीता आइसोलेशन में एडमिट हो गई। 22 को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। लेकिन वो डॉक्टरों के कहे अनुसार सभी प्रोसेस को फॉलो करती गई।
मलेरिया में दी जाने वाली दवा रही कारगर
अनीता ने बताया कि 25 मार्च को मेरी रिपोर्ट टेंटेटिव निगेटिव आई। इसके बाद हौसला बढ़ा। पॉजिटिव माइंससेट के साथ, दवा और डॉक्टरों की सलाह मानती रही। 27 को उनकी पहली रिपोर्ट निगेटिव आई। जिसके तीन दिन बाद 30 मार्च को उनकी दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आई। जिसके बाद अनीता को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अनीता का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हाइड्रोऑक्सीक्लोरीन और पैरासिटामॉल दी गई। बता दें कि ये दोनों दवाएं मलेरिया में भी दी जाती है।
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